2122 2122 2122 212
फिर कोई हमसे हमारा फ़लसफ़ा ले जाएगा ।
वह मुसाफ़िर आज कोई मशवरा ले जाएगा ।।
तिश्नगी गर है तो पी ले होश मत बाकी बचे ।
मैकदे से क्यूँ भला शिकवा गिला ले जाएगा ।।
इक कफ़न के वास्ते आया था वो दुनियां में तब ।
क्या ख़बर थी वो कफ़न भी हादसा ले जाएगा ।।
ताक में बैठा है कोई आशिकी से बच के रह ।
चैन सारा लूट कर फिर बेवफा ले जाएगा ।।
है कोई तिरछी नजर तेरे सनम के वास्ते ।
वो तेरे अहले चमन से रहनुमा ले जाएगा ।।
कर रहा दीदार वो हुस्नो अदा महफ़िल में अब ।
लग रहा है ज़ख्म का इक तजरिबा ले जाएगा ।।
मैंकदा को ढूढता है वह सुकूँ के वास्ते ।
आज साकी से कोई मेरा पता ले जाएगा ।।
यह मुहब्बत का चमन है कर ले थोड़ी आशिकी ।
मौत के भी बाद वर्ना तू जफ़ा ले जाएगा ।।
शह्र में उस कातिलाना हुस्न की चर्चा बहुत ।
अब मुझे मकतल तलक वो मनचला ले जाएगा ।।
काम कुछ कर ले भलाई का अभी भी वक्त है ।
एक दिन तू भी खुदा तक हर खता ले जाएगा ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
फिर कोई हमसे हमारा फ़लसफ़ा ले जाएगा ।
वह मुसाफ़िर आज कोई मशवरा ले जाएगा ।।
तिश्नगी गर है तो पी ले होश मत बाकी बचे ।
मैकदे से क्यूँ भला शिकवा गिला ले जाएगा ।।
इक कफ़न के वास्ते आया था वो दुनियां में तब ।
क्या ख़बर थी वो कफ़न भी हादसा ले जाएगा ।।
ताक में बैठा है कोई आशिकी से बच के रह ।
चैन सारा लूट कर फिर बेवफा ले जाएगा ।।
है कोई तिरछी नजर तेरे सनम के वास्ते ।
वो तेरे अहले चमन से रहनुमा ले जाएगा ।।
कर रहा दीदार वो हुस्नो अदा महफ़िल में अब ।
लग रहा है ज़ख्म का इक तजरिबा ले जाएगा ।।
मैंकदा को ढूढता है वह सुकूँ के वास्ते ।
आज साकी से कोई मेरा पता ले जाएगा ।।
यह मुहब्बत का चमन है कर ले थोड़ी आशिकी ।
मौत के भी बाद वर्ना तू जफ़ा ले जाएगा ।।
शह्र में उस कातिलाना हुस्न की चर्चा बहुत ।
अब मुझे मकतल तलक वो मनचला ले जाएगा ।।
काम कुछ कर ले भलाई का अभी भी वक्त है ।
एक दिन तू भी खुदा तक हर खता ले जाएगा ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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