221 2121 1221 212
मुझको भी उसके पास बुलाया न जाएगा ।।
मुमकिन है दौरे इश्क़ बढाया न जाएगा ।।
चेहरे से वो नकाब भी हटती नही है अब।
किसने कहा गुलाब छुपाया न जाएगा ।।
दिल मे ठहर गया है मेरे इस तरह से वो।
उसका वजूद दिल से मिटाया न जाएगा ।।
यूँ ही तमाम उम्र निभाता रहा हूँ मैं ।
अब साथ जिंदगी का निभाया न जाएगा ।।
बन ठन के मेरे दर पे वो आने लगे हैं खूब ।
मुझसे मेरा उसूल बचाया न जाएगा ।।
यूँ चाहता रहा हूँ उसे बेपनाह मैं।
फिर भी यकीन उसको दिलाया न जाएगा ।।
अब थक चुका हूँ मौत मिरे आस पास है ।
मुझसे मेरा नसीब मिटाया न जाएगा ।।
हाला कि खत में बात न करने की बात थी ।
ज़ज़्बात पर वो जुल्म भी ढाया न जाएगा ।।
रोयेगी तेरी रूह मुहब्बत में एक दिन ।
तुझसे मेरा कफ़न भी हटाया न जाएगा ।।
ऐलान कर रहे जो मिरे जश्ने मौत का ।
सबको खबर है जश्न मनाया न जाएगा ।।
पूछो न हम से हाल जुदाई के बाद का ।
कोई भी दिलका जख्म दिखाया न जाएगा।।
कैसे भुला दूँ तुझको बता तू ही हमनशीं ।
मुझ से तो तेरा ख़त भी जलाया न जाएगा ।।
मैं हुस्न का हूँ एक जमाने से मुन्तजिर ।
शायद मुझे वो चाँद दिखाया न जाएगा ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक
मुझको भी उसके पास बुलाया न जाएगा ।।
मुमकिन है दौरे इश्क़ बढाया न जाएगा ।।
चेहरे से वो नकाब भी हटती नही है अब।
किसने कहा गुलाब छुपाया न जाएगा ।।
दिल मे ठहर गया है मेरे इस तरह से वो।
उसका वजूद दिल से मिटाया न जाएगा ।।
यूँ ही तमाम उम्र निभाता रहा हूँ मैं ।
अब साथ जिंदगी का निभाया न जाएगा ।।
बन ठन के मेरे दर पे वो आने लगे हैं खूब ।
मुझसे मेरा उसूल बचाया न जाएगा ।।
यूँ चाहता रहा हूँ उसे बेपनाह मैं।
फिर भी यकीन उसको दिलाया न जाएगा ।।
अब थक चुका हूँ मौत मिरे आस पास है ।
मुझसे मेरा नसीब मिटाया न जाएगा ।।
हाला कि खत में बात न करने की बात थी ।
ज़ज़्बात पर वो जुल्म भी ढाया न जाएगा ।।
रोयेगी तेरी रूह मुहब्बत में एक दिन ।
तुझसे मेरा कफ़न भी हटाया न जाएगा ।।
ऐलान कर रहे जो मिरे जश्ने मौत का ।
सबको खबर है जश्न मनाया न जाएगा ।।
पूछो न हम से हाल जुदाई के बाद का ।
कोई भी दिलका जख्म दिखाया न जाएगा।।
कैसे भुला दूँ तुझको बता तू ही हमनशीं ।
मुझ से तो तेरा ख़त भी जलाया न जाएगा ।।
मैं हुस्न का हूँ एक जमाने से मुन्तजिर ।
शायद मुझे वो चाँद दिखाया न जाएगा ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें