तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 5 मई 2014

वर्तमान परिभाषा धर्म निरपेक्ष की





जब किसी बहु संख्यक की
दंगों में मौत हो जाए ।
उस पर नेता का कोई बयान  ना आए ।
और जब किसी अल्प संख्यक को
कोई आँख भर दिखाए
और नेता उसके लिए वर्षों चिल्लाये ।
वर्ग विशेष के सारे मुकदमे हटाये ।
अपराध करने की मौन स्वीकृति दिलाये ।
फिर चुनाव जीत कर आता है ।
तो वह नेता धर्म निरपेक्ष कहलाता है ।।


जब कोई मंदिर नही बनाने की बात करे ।
मस्जिद और कब्रस्तान को अनुदान करे।
ट्रेन की बोगियों में जल कर मरे श्रधालुओं की बात
जुबान पर ना लाये ।
सिर्फ एक पक्षीय अत्याचार का डंका बजाए ।
वोटों के लिए दंगे कराये ।
ऐसा कह कर स्वार्थ सिद्ध कर जाता है
 जी हाँ ,वही नेता धर्म निरपेक्ष कहलाता है ।।


जिसमे आतंकियों के प्रति गहरी सद्भावना हो ।
देश को तोड़ने की कामना हो ।
भरपूर जाती पाति की भवना हो ।
विष बमन करके जो समाज को खंड खंड करे ।
नफरत की अग्नि को प्रचंड करे ।
साम्प्रदायिक बन के अल्प संख्यक को अखंड करे ।
जो अल्प संख्यक के सापेक्ष बहता है ।
हाँ वही धर्म निरपेक्ष कहलाता है ।।


जो सर पर सम्प्रदाय विशेष की टोपी पहने ।
बहुसंख्यक धार्मिक आस्था पर
लगे उल्टा सीधा बकने ।
देश की स्मिता कारगिल को सम्प्रदाय से जोड़े ।
देश में घुसपैठियों पर संवेदना की राग छोड़े ।
कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचार से
मुह मोड़े ।
ऊपर से उन पर साम्प्रदायिकता का बम फोड़े ।
जब सच मौन देश के परिप्रेक्ष्य होता है ।
मानो तो सही
अब वही धर्म निरपेक्ष होता है ।

              नवीन

7 टिप्‍पणियां:

  1. 'धर्मनिरपेक्ष' लोगों की असली परिभाषा बता दी है आपने. अति सुन्दर.

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  2. ये आज की धर्म-निरपेक्षता है ...
    जैसा हम बोते हैं वैसा ही काटते हैं कई वर्षों बाद ... इसलिए जागना तो अभी ही होगा ...

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  3. सुन्दर रचना !
    मेरे ब्लॉग manojbijnori12.blogspot.com पर आपका स्वागत है अपने कमेंट्स भेजकर कर और फोलोवर बनकर हमारा अपने सुझाव दे !

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  4. बहुत सुन्दर भाव और यथार्थ दर्शाती पंक्तियाँ

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