तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 18 जून 2018

लहज़ा बता रहा है कि दिल में खटास है

221 2121 1221 212
आया  सँवर  के  चाँद  चमन  में  उजास  है ।
बारिश  ख़ुशी की हो गयी भीगा  लिबास है ।।

कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।

मिलता  नशे  में  चूर  वो  कंगाल  आदमी ।
शायद खुदा गरीब का भरता गिलास है ।।

ये तितलियां बता रहीं हैं राज कुछ हुजूर ।
आई बहार गुल में छलकती मिठास है ।।

पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी  शराब  में  कुछ बात ख़ास है ।

हुस्नो  अदा  के  ताज पे चर्चा  बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक  पे  लगता  कयास  है ।।

खुशबू  सी  आ  रही  है मेरे इस दयार  में ।
महबूब मेरा  आज  कहीं  आस  पास  है ।।

मक़तूल की सजा थी या कातिल का था गुनाह ।
कुछ तो  खता हुई  है जो मक़तल उदास है ।।

        -- नवीन मणि त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें