तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शुक्रवार, 7 जून 2019

हौसलों को मत दबाया केजिये

वक्त  ऐसे   मत  गँवाया  कीजिये ।
आइना  उनको  दिखाया कीजिये।।

मुल्क  में  है  इन्तकामी  हौसला ।
हौसलों को मत दबाया कीजिये ।।

आग उगलेगी सुख़नवर की कलम ।
अब न कोई सच छुपाया कीजिये ।।

ख़ाब  जो  देखें  हमारे  कत्ल का ।
हर सितम उनपे ही ढाया कीजिये ।।

उनके हमले से  फ़जीहत हो  गयी।
दिल यहाँ अपना जलाया कीजिये ।।

तब्सिरा करके  नये  हालात  पर ।
आप अपना  घर  बचाया कीजिये ।।

ये ताल्लुक अब तलक जिंदा था क्यूँ ।
प्यार इतना मत दिखाया कीजिये ।।

खर्च क्यों  हो  देश  के  गद्दार पर ।
बोझ  इतना  मत उठाया कीजिये ।।

दर्द  क्या  है  ये  उन्हें भी हो पता ।
कुछ निशाना भी लगाया कीजिये ।।

क्यूँ यकीं करते रहे उन पर मियाँ ।
इस तरह धोखा न खाया कीजिये ।।

देखिए अंजाम  अपनी फौज  का ।
अब कबूतर मत उड़ाया कीजिये ।।

        डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

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