मित्रो यह ग़ज़ल अवधी और भोजपुरी मिश्रित है ।
*******।।वैलेंटाइन स्पेशल।।********
*2122 1212 22*
प्रेम मा टकटकी लगाये हम ।
कौनो दुलहिन न ढूढि पाये हम ।।
चल दिहिस फिर बयार फागुन कै ।
शेष बाबा से डाट खाये हम ।।
खूब रंगीन आज मौसम बा ।
तुम का खातिर गुलाब लाये हम ।।
चाल तोहरो बा मोरनी जइसन ।
वीडियो मा उतारि लाये हम ।।
कइलू करिया तु आज जब जुल्फी ।
राति भर देखि कै बिताये हम ।।
ई बुढ़ापा मा हो गइल दंगा ।
इश्क़बाजी मा चोट खाये हम ।।
अब चिरौरी करब न हम तुमसे ।
भेद उमरिन का सब मिटाये हम ।।
कुछ तरस खा के मानि जा ससुरी ।
महँगी नथुनी उधार लाये हम ।।
है बुजुर्गी मा इश्क खरचीला ।
हैं शिलाजीत कुछ मंगाए हम ।।
मुसकी मारो न खीसि अब काढ़ो ।
खेत गिरवी मा धय के आये हम ।।
व्याह अब हुई है प्रेम दिवसन पर ।
घर से किरिया हई तो खाये हम ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
*******।।वैलेंटाइन स्पेशल।।********
*2122 1212 22*
प्रेम मा टकटकी लगाये हम ।
कौनो दुलहिन न ढूढि पाये हम ।।
चल दिहिस फिर बयार फागुन कै ।
शेष बाबा से डाट खाये हम ।।
खूब रंगीन आज मौसम बा ।
तुम का खातिर गुलाब लाये हम ।।
चाल तोहरो बा मोरनी जइसन ।
वीडियो मा उतारि लाये हम ।।
कइलू करिया तु आज जब जुल्फी ।
राति भर देखि कै बिताये हम ।।
ई बुढ़ापा मा हो गइल दंगा ।
इश्क़बाजी मा चोट खाये हम ।।
अब चिरौरी करब न हम तुमसे ।
भेद उमरिन का सब मिटाये हम ।।
कुछ तरस खा के मानि जा ससुरी ।
महँगी नथुनी उधार लाये हम ।।
है बुजुर्गी मा इश्क खरचीला ।
हैं शिलाजीत कुछ मंगाए हम ।।
मुसकी मारो न खीसि अब काढ़ो ।
खेत गिरवी मा धय के आये हम ।।
व्याह अब हुई है प्रेम दिवसन पर ।
घर से किरिया हई तो खाये हम ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
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