दोहे
कामी कुछ बाबा हुए कलयुग हुआ असीम।
कुछ तो आशाराम हैं,कुछ हैं राम रहीम।।
हनीप्रीत जोगन बनी ,अद्भुत उसकी प्रीत ।
काम वासना बाँट कर,नित नित बदले रीत।।
राधे माँ के द्वार पर, निशदिन बरसे नेह ।
जाकी जैसी पोटली , ता पर तैसी गेह ।।
कई तपस्वी ढूढते ,फूलों का मकरन्द ।
अब रावण के भेष में, मिलते नित्यानंद ।।
कामी कुछ बाबा हुए कलयुग हुआ असीम।
कुछ तो आशाराम हैं,कुछ हैं राम रहीम।।
हनीप्रीत जोगन बनी ,अद्भुत उसकी प्रीत ।
काम वासना बाँट कर,नित नित बदले रीत।।
राधे माँ के द्वार पर, निशदिन बरसे नेह ।
जाकी जैसी पोटली , ता पर तैसी गेह ।।
कई तपस्वी ढूढते ,फूलों का मकरन्द ।
अब रावण के भेष में, मिलते नित्यानंद ।।
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