2122 1212 22
उस से मिलकर तुझे हुआ क्या है ।
पूछते लोग माजरा क्या है ।।
सच बताने पे आप क्यूँ रोये ।
आइने से हुई ख़ता क्या है ।।
है तबस्सुम का राज क्या उनके ।
आंख में गौर से पढा क्या है ।।
अश्क़ हैं बेहिसाब हिस्से में ।
ज़श्न के वास्ते बचा क्या है ।।
इस तरह रोकिये नहीं मुझको ।
पूछिये मत मेरा पता क्या है ।।
आप मतलब की बात करते हैं ।
आपके साथ फायदा क्या है ।।
छोड़िये बात आप भी उसकी ।
उसकी बातों में अब रखा क्या है ।।
गर्म चर्चा है दिल है जलाने की ।
देखिए फिर धुँआ उठा क्या है ।।
जी रहा हूँ तमाम गर्दिश में ।
अब सिवा इसके रास्ता क्या है ।।
चाँद निकलेगा उस दरीचे से ।
आसमाँ को तू देखता क्या है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
उस से मिलकर तुझे हुआ क्या है ।
पूछते लोग माजरा क्या है ।।
सच बताने पे आप क्यूँ रोये ।
आइने से हुई ख़ता क्या है ।।
है तबस्सुम का राज क्या उनके ।
आंख में गौर से पढा क्या है ।।
अश्क़ हैं बेहिसाब हिस्से में ।
ज़श्न के वास्ते बचा क्या है ।।
इस तरह रोकिये नहीं मुझको ।
पूछिये मत मेरा पता क्या है ।।
आप मतलब की बात करते हैं ।
आपके साथ फायदा क्या है ।।
छोड़िये बात आप भी उसकी ।
उसकी बातों में अब रखा क्या है ।।
गर्म चर्चा है दिल है जलाने की ।
देखिए फिर धुँआ उठा क्या है ।।
जी रहा हूँ तमाम गर्दिश में ।
अब सिवा इसके रास्ता क्या है ।।
चाँद निकलेगा उस दरीचे से ।
आसमाँ को तू देखता क्या है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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