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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

सोमवार, 21 नवंबर 2011

क्रिकेट बनाम देश

         क्रिकेट बनाम देश
                              
   -- नवीन मणि त्रिपाठी
                              
                              G 1 / 28 अरमापुर इस्टेट कानपुर
                              
                                  फोन - 09839626686

 भारत क्रिकेट के खेल में ,
विश्व चैम्पियन बना .
देश का सम्मान बढ़ा .
२८ वर्षों बाद पूरा हुआ सपना ,
वर्डकप  हुआ अपना .
पूरे देश में ऐतिहासिक जश्न मनाया गया .
उद्योग पति से लेकर मजदूर तक में ,
जागृती आयी ,
ख़ुशी के पल में पटाखों को जलाया गया .
रातों रत टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी ,
देश के नायक बन गये .
देश की तकदीर के निर्णायक बन गये .
देश का हर नागरिक आत्म सम्मान से ओत प्रोत हो गया .
सचिन धोनी युवराज से अभिभूत हो गया .
हर गली कूचों व् चौराहों पर,
 विश्व विजेता का उफान देखा गया .
ढेरों मिठाइयों जोरदार जुलूस के नारों से,
 खिलाडियों का सम्मान देखा गया .
भारत की उन्नति का प्रतीक है क्रिकेट .
सभी ग्यारह खिलाडी हैं देश के विकेट .
देश की खिलाडी क्रीज पर जम कर मैच जीतते हैं ,
तो देश का सर ऊंचा हो जाता है .
यही विकेट जल्दी गिर कर मैच हारते हैं ,
तो देश का सर शर्म से झुक जाता है .
गाँधी सुभाष और भगत सिंह के देश के सर में ,
बी ० सी ० सी ० आई ० की स्प्रिंग लग गयी है .
देश की सोच बदल गयी है .
बी ० सी ० सी ० आई ० की टीम की जीत ,
से सर उठ जाता है .
और हार से सर झुक जाता है .
*        *        *         *         *       *           *        *

सर नहीं झुकता अब ,
देश में हो रही हजारों निर्दोषों की हत्त्याओं पर .
देश के भ्रष्टाचारियों के धन से लदे स्विस बैंकों पर .
हजारों किसानों की आत्म हत्याओं पर ,
पडोसी देशों द्वारा कब्ज़ा की हुई जमीनों पर .
हमारे करोड़ पति , अरबपति खिलाडियों ने,
 पसीना बहाया है.
देश का मनोरंजन कराया है .
हमारे मंत्री राष्ट्रपति ने मैदान में जाकर,
 हौसला बढ़ाया है .
हमारे सेना अध्यक्षों ने,
 कर्नल जैसा पद देकर सम्मान बढाया है .
देश की राष्ट्रपति ने उन्हें भोज पर बुलाया .
B.C.C.I. करोड़ों रुपया खिलाडियों पर बरसाया .
अनेक कंपनियों ने.
 खिलाडियों को पुरस्कारों से नवाजा .
सबने बनाया उन्हें ख्वाजा .
देश के नायकों ने जलाई ,
पवित्र भारतीय संस्कृति की होली .
महगी शराब शैम्पेन से .,
मैदान में खेली होली .
इन नायकों ने दिखाया ;
देश के युँवाओं को शैम्पेन का असर .
बोतल की ताकत की हो गयी बच्चों में खबर .
दीमक की तरह भारतीय मस्तिष्क को ,
चाट रहा है यह खेल .
बड़ी बड़ी कंपनियों का बढ़ा रहा है सेल .
सब कुछ भूल कर ,
चैन से मजा लेने की क्षमता देता है .
हमारे जननेताओं को ,
क्रिकेट का नशा स्टेडियम में बुला लेता है .
राष्ट्रीय खेल हाकी का तो बुरा हाल है .
कबड्डी कुस्ती  खोखो तैराकी सब कुछ बेहाल है .
भारतीय RASHTREEY   नेताओं को हम चुनौती दे सकते हैं .
हमे पता है वे क्रिकेट को छोड़ कर किसी अन्य ,
खेल के पाँच खिलाडियों के नाम भी ,
 नहीं बता सकते हैं .
राष्ट्रीय शहीदों के बेटों को,
 वे कर्नल नहीं बना सकते हैं ,
उनकी बिधवाओं को वे ,
पार्स एरिया बँगलें नहीं बनवा सकते हैं ,
वे भारतीय मुख्य मंत्री हैं .
देश के सन्तरी हैं .
वे क्रिकेट के खिलाडियों का सम्मान करते हैं .
मैदान पर पसीना बहाने वालों को लाखों,
 का दान करते हैं .
रोज जब किसी प्रदेश का जवान .
सजोता है भारत का सम्मान .
शहीद बन के ,
भारत माँ की गोदी में सो जाता है .
नहीं दे पाते हैं हम उन्हें ,
क्रिकेट के खिलाडियों जैसा सम्मान .
कहाँ चला जाता है ,
हमारा स्वाभिमान ?
कुछ ही दिनों में ,
हम उन्हें भूल जाते हैं .
बलिदानियों के लिए ,
 राष्ट्रीय धर्म का वसूल गवांते हैं ,
शहीदों की विधवाओं और अनाथ बच्चों का ,
कितना हो पता है सम्मान ?
अगर कुछ दे सकते हो ,
तो भारत माँ का मत करो अपमान .
शहीदों के बच्चों व् विधवाओं को ,
उचित सम्मान दिलाओ .
राष्ट्रपति भवन में ,
उन्हें भी भोज पर आमंत्रित कराओ .
अगर तुम मैदान के
शराब के नशेबाजों पर करोड़ों ,
लुटा सकते हो ,
तो देश के शहीदों को,
 कैसे भुला सकते हो ?
जाओ प्राश्चित करो ,
उनकी कुर्बानियों को,
 याद करो .
उनके परिवार को सम्मान दिलाओ
सचिन और धोनी के बदले ,
उन्हें भी कर्नल व् लेफ्टिनेंट बनाओ .
शायद इतिहास तुम्हें माफ़ कर देगा .
वरना एक बार फिर यही इतिहास,
 गुलामी की कालिख से .
 तुम्हारा नाम लिख देगा .
राज नीति व् प्रशासन के मेहमानों .
वास्तविक विजेता को पहचानों .
सोच नहीं बदली तो ,
भारत का ज्वलंत परिवेश हो जायेगा.
इस बार चुनाव का मुद्दा भी ,
क्रिकेट बनाम देश हो जायेगा .
क्रिकेट बनाम देश हो जायेगा .

                    -- नवीन मणि त्रिपाठी


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