***ग़ज़ल ***
रहे तू जहाँ वो फ़िज़ा चाहता हूँ ।
मैं दैर-ओ-हरम का पता चाहता हूँ ।।1
तेरी खुशबुओं से मुअत्तर चमन में ।
महकती हुई इक सबा चाहता हूँ ।।2
मेरी चाहतों से है वाकिफ़ ख़ुदा जो ।
उसे क्या बताऊँ मैं क्या चाहता हूँ ।।3
है दोज़ख़ या जन्नत बताने की ख़ातिर ।
तेरे इश्क़ का फ़लसफ़ा चाहता हूँ ।।4
सलामत रहे बेख़ुदी उम्र भर ये ।
न उतरे कभी वो नशा चाहता हूँ ।।5
समझ ही न पाया मैं मज़मून ख़त का ।
सनम का ही अब तर्जुमा चाहता हूँ ।।6
मुझे यूँ ही तन्हा ही रहने दो यारों ।
अभी हिज्र का तज्रबा चाहता हूँ ।।7
विसाले सनम को ख़बर मेरी ख्वाहिश ।
के मैं रिंद हूँ मयक़दा चाहता हूँ ।।8
जो बीनाई में हैं मुहब्बत के मंजर ।
उन्हीं पर तेरा तब्सिरा चाहता हूँ ।।9
रक़ीबों की महफ़िल में जाने से पहले ।
तेरा हाले दिल पूछना चाहता हूँ ।।10
मैं शाइर हूँ मेरे कलम को न रोको ।
ग़ज़ल से नया सिलसिला चाहता हूँ ।। 11
- नवीन मणि त्रिपाठी
रहे तू जहाँ वो फ़िज़ा चाहता हूँ ।
मैं दैर-ओ-हरम का पता चाहता हूँ ।।1
तेरी खुशबुओं से मुअत्तर चमन में ।
महकती हुई इक सबा चाहता हूँ ।।2
मेरी चाहतों से है वाकिफ़ ख़ुदा जो ।
उसे क्या बताऊँ मैं क्या चाहता हूँ ।।3
है दोज़ख़ या जन्नत बताने की ख़ातिर ।
तेरे इश्क़ का फ़लसफ़ा चाहता हूँ ।।4
सलामत रहे बेख़ुदी उम्र भर ये ।
न उतरे कभी वो नशा चाहता हूँ ।।5
समझ ही न पाया मैं मज़मून ख़त का ।
सनम का ही अब तर्जुमा चाहता हूँ ।।6
मुझे यूँ ही तन्हा ही रहने दो यारों ।
अभी हिज्र का तज्रबा चाहता हूँ ।।7
विसाले सनम को ख़बर मेरी ख्वाहिश ।
के मैं रिंद हूँ मयक़दा चाहता हूँ ।।8
जो बीनाई में हैं मुहब्बत के मंजर ।
उन्हीं पर तेरा तब्सिरा चाहता हूँ ।।9
रक़ीबों की महफ़िल में जाने से पहले ।
तेरा हाले दिल पूछना चाहता हूँ ।।10
मैं शाइर हूँ मेरे कलम को न रोको ।
ग़ज़ल से नया सिलसिला चाहता हूँ ।। 11
- नवीन मणि त्रिपाठी
बढ़िया ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंकभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 18 मार्च 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Hey admin!! These images and quotes are very beautiful. Thank you so much for sharing this. Romantic Whatsapp Images
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