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जो इम्तिहाँ के दौर में आने से रह गया ।
अपना ज़मीर वह भी बचाने से रह गया ।।2
हर सिम्त हैं सदायें यहां लूट पाट की।
हाक़िम तो अपना फ़र्ज़ निभाने से रह गया।।2
हैरान है ये दुनिया इसी बात पर हुजूर ।
कैसे हमारा मुल्क मिटाने से रह गया ।।3
वो ले गया था वोट मेरा इत्मीनान से ।
पर पेट भर अनाज दिलाने से रह गया ।।4
करती मिली हैं रूहें हिफाज़त उसी की अब ।
जो कब्र पर चराग़ जलाने से रह गया ।।5
सदमा लगा है यार किसी बादशाह को ।
नफ़रत की आग घर मे लगाने से रह गया।।6
सब साथ छोड़ कर यूँ तेरा जा रहे हैं अब ।
तू बेवकूफ हमको बनाने से रह गया ।।7
चित्र - एक तानाशाह
nice info!! can't wait to your next post!
जवाब देंहटाएंcomment by: muhammad solehuddin
greetings from malaysia