212 1222 212 1222
सिर्फ चन्द बातों से मिल गई नसीहत है ।
आइनों से मत पूछो क्या मेरी हक़ीक़त है ।।
शब उदास है शायद कुछ सवाल बाकी हैं।
वस्ल की इजाज़त पर हो गई किफ़ायत है ।।
चाँद के निकलने तक मुन्तजिर रहा कोई ।
ईद की तमन्ना पर इश्क़ की इनायत है ।।
बाद मुद्दतों के जब मिल गई नज़र उनसे ।
कुछ मिला सबक उनसे कुछमिली हिदायत है।।
सांस की हरारत को धड़कनें बताती है ।
तिश्नगी में उसके भी कुछ नई इज़ाफ़त है ।।
दिल छुपा के आया था लुट गया मुहब्बत में ।
रहबरोँ से वाकिफ हूँ हुस्न की हिमाकत है ।।
जिंदगी की रातें सब इंतजार में गुज़रीं ।
दे गया हमें कोई दर्द की वसीयत है ।।
पढ़ रहा निगाहों से रात दिन तुझे कोई ।
बे शबब नही होती अब कोई इबादत है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
सिर्फ चन्द बातों से मिल गई नसीहत है ।
आइनों से मत पूछो क्या मेरी हक़ीक़त है ।।
शब उदास है शायद कुछ सवाल बाकी हैं।
वस्ल की इजाज़त पर हो गई किफ़ायत है ।।
चाँद के निकलने तक मुन्तजिर रहा कोई ।
ईद की तमन्ना पर इश्क़ की इनायत है ।।
बाद मुद्दतों के जब मिल गई नज़र उनसे ।
कुछ मिला सबक उनसे कुछमिली हिदायत है।।
सांस की हरारत को धड़कनें बताती है ।
तिश्नगी में उसके भी कुछ नई इज़ाफ़त है ।।
दिल छुपा के आया था लुट गया मुहब्बत में ।
रहबरोँ से वाकिफ हूँ हुस्न की हिमाकत है ।।
जिंदगी की रातें सब इंतजार में गुज़रीं ।
दे गया हमें कोई दर्द की वसीयत है ।।
पढ़ रहा निगाहों से रात दिन तुझे कोई ।
बे शबब नही होती अब कोई इबादत है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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