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अना की बात में कुछ दम नहीं है ।
कहा किसने तेरा परचम नहीं है ।।
मिलेंगी कब तलक ये स्याह रातें ।
तेरी किस्मत में क्या पूनम नही है ।।
अभी तक मुन्तजिर है आंख उसकी ।
वफ़ा के नाम पर कुछ कम नहीं है ।।
चिरागे इश्क़ पर है नाज़ उसको ।
उजाला भी कहीं मध्यम नहीं है ।।
सजा देंगे हमे ये हुस्न वाले ।
हमारे हक़ का ये फोरम नहीँ है ।।
तेरी जुल्फों की मैं तश्वीर रख लूँ।
मगर मुद्दत से इक अल्बम नही है ।।
मिटा बैठा है वो उल्फ़त में हस्ती ।
उसे बर्बादियों का गम नहीं है ।।
अनासिर से मुकम्मल है बदन वो ।
कहा कसने बदन संगम नहीं है ।।
नहीं है वस्ल का मौसम कहो मत ।
तुम्हारी तिश्नगी में दम नहीं है ।।
सहर को मान लूँ मैं सच भी कैसे ।
गुलों पर रात की शबनम नहीं है ।।
अना के साथ मत यूँ पेश आओ।
मेरी ग़ज़लों का तू उदगम नहीं है ।।
बहुत मुमकिन मुहब्बत जीत जाए ।
छुपा कोई वहाँ रुस्तम नहीं है ।।
है गर जज़्बा तो मेरे पास आओ ।
जिगर तक रास्ता दुर्गम नहीं है ।।
किसी का जख़्म मत पूछा करो यूँ ।
तुम्हारे पास जब मरहम नहीं है ।।
अजब क़ातिल से उसका वास्ता है ।
सजाये मौत पर मातम नही है ।।
----नवीन मणि त्रिपाठी
अना की बात में कुछ दम नहीं है ।
कहा किसने तेरा परचम नहीं है ।।
मिलेंगी कब तलक ये स्याह रातें ।
तेरी किस्मत में क्या पूनम नही है ।।
अभी तक मुन्तजिर है आंख उसकी ।
वफ़ा के नाम पर कुछ कम नहीं है ।।
चिरागे इश्क़ पर है नाज़ उसको ।
उजाला भी कहीं मध्यम नहीं है ।।
सजा देंगे हमे ये हुस्न वाले ।
हमारे हक़ का ये फोरम नहीँ है ।।
तेरी जुल्फों की मैं तश्वीर रख लूँ।
मगर मुद्दत से इक अल्बम नही है ।।
मिटा बैठा है वो उल्फ़त में हस्ती ।
उसे बर्बादियों का गम नहीं है ।।
अनासिर से मुकम्मल है बदन वो ।
कहा कसने बदन संगम नहीं है ।।
नहीं है वस्ल का मौसम कहो मत ।
तुम्हारी तिश्नगी में दम नहीं है ।।
सहर को मान लूँ मैं सच भी कैसे ।
गुलों पर रात की शबनम नहीं है ।।
अना के साथ मत यूँ पेश आओ।
मेरी ग़ज़लों का तू उदगम नहीं है ।।
बहुत मुमकिन मुहब्बत जीत जाए ।
छुपा कोई वहाँ रुस्तम नहीं है ।।
है गर जज़्बा तो मेरे पास आओ ।
जिगर तक रास्ता दुर्गम नहीं है ।।
किसी का जख़्म मत पूछा करो यूँ ।
तुम्हारे पास जब मरहम नहीं है ।।
अजब क़ातिल से उसका वास्ता है ।
सजाये मौत पर मातम नही है ।।
----नवीन मणि त्रिपाठी
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