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उसे सर पर बिठाया जा रहा है ।
किसी पे जुर्म ढाया जा रहा है ।।
उन्हें मालूम है अपनी तरक्की ।
जहर को आजमाया जा रहा है ।।
चलेगा किस तरह गर्दन पे ख़ंजर ।
तरीका सब सिखाया जा रहा है ।।
जो नफरत में चलाता रोज पत्थर ।
उसे अपना बताया जा रहा है ।।
जो चारा खा चुके हैं जानवर का ।
उन्हें नेता बुलाया जा रहा है ।।
वो गायें काटते हैं वोट खातिर ।
नया मजहब चलाया जा रहा है ।।
जे एन यू में है गद्दारी का आलम ।
हमारा घर मिटाया जा रहा है ।।
न जाने क्या बिगाड़ा सैनिकों ने ।
मनोबल फिर गिराया जा रहा है ।।
करोड़ो लूट कर बोली बहन जी ।
हमें झूठा फसाया जा रहा है ।।
सियासत हो रही है जातियों पर ।
नया कानून लाया जा रहा है ।।
सड़क तो बन चुकी कागज में देखो ।
हक़ीक़त को छुपाया जा रहा है ।।
सलाखों तक कहाँ जाते हैं मुजरिम ।
महज पर्दा उठाया जा रहा है ।।
ये मौसेरे से भाई लग रहे हैं ।
बड़ा रिश्ता निभाया जा रहा है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कॉपी राइट
उसे सर पर बिठाया जा रहा है ।
किसी पे जुर्म ढाया जा रहा है ।।
उन्हें मालूम है अपनी तरक्की ।
जहर को आजमाया जा रहा है ।।
चलेगा किस तरह गर्दन पे ख़ंजर ।
तरीका सब सिखाया जा रहा है ।।
जो नफरत में चलाता रोज पत्थर ।
उसे अपना बताया जा रहा है ।।
जो चारा खा चुके हैं जानवर का ।
उन्हें नेता बुलाया जा रहा है ।।
वो गायें काटते हैं वोट खातिर ।
नया मजहब चलाया जा रहा है ।।
जे एन यू में है गद्दारी का आलम ।
हमारा घर मिटाया जा रहा है ।।
न जाने क्या बिगाड़ा सैनिकों ने ।
मनोबल फिर गिराया जा रहा है ।।
करोड़ो लूट कर बोली बहन जी ।
हमें झूठा फसाया जा रहा है ।।
सियासत हो रही है जातियों पर ।
नया कानून लाया जा रहा है ।।
सड़क तो बन चुकी कागज में देखो ।
हक़ीक़त को छुपाया जा रहा है ।।
सलाखों तक कहाँ जाते हैं मुजरिम ।
महज पर्दा उठाया जा रहा है ।।
ये मौसेरे से भाई लग रहे हैं ।
बड़ा रिश्ता निभाया जा रहा है ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
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