221 1222 221 1222
इक बार तेरे दिल का इकरार जरूरी है ।
ऐ चाँद अभी तेरा दीदार जरूरी है ।।
माना कि मुहब्बत में हैं ज़ख्म बहुत मिलते ।
कुछ सिलसिलों की खातिर कुछ ख्वार जरूरी है।।
फैशन के जमाने मे बदला है चलन ऐसा ।
उनको तो गुलाबों सा रुखसार जरूरी है ।।
खामोश निगाहों से देखा न करो उसको ।
दिलवर पे असर खातिर इज़हार जरूरी है ।।
महबूब की जुल्फों पर लगती है नजर उनकी ।
अब घर के दरीचों पर दीवार जरूरी है ।।
आहट से मिरे दिल मे आये सुकूं का मौसम ।
पायल में खनकती सी झनकार जरूरी है ।।
हर बात में हाँ करना मतलब की है निशानी ।
सच्ची है मुहब्बत तो इनकार जरूरी है ।।
ईमान बहुत सस्ते में बिक गया है उसका ।
कीमत के लिए अब तो बाज़ार ज़रूरी है ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
इक बार तेरे दिल का इकरार जरूरी है ।
ऐ चाँद अभी तेरा दीदार जरूरी है ।।
माना कि मुहब्बत में हैं ज़ख्म बहुत मिलते ।
कुछ सिलसिलों की खातिर कुछ ख्वार जरूरी है।।
फैशन के जमाने मे बदला है चलन ऐसा ।
उनको तो गुलाबों सा रुखसार जरूरी है ।।
खामोश निगाहों से देखा न करो उसको ।
दिलवर पे असर खातिर इज़हार जरूरी है ।।
महबूब की जुल्फों पर लगती है नजर उनकी ।
अब घर के दरीचों पर दीवार जरूरी है ।।
आहट से मिरे दिल मे आये सुकूं का मौसम ।
पायल में खनकती सी झनकार जरूरी है ।।
हर बात में हाँ करना मतलब की है निशानी ।
सच्ची है मुहब्बत तो इनकार जरूरी है ।।
ईमान बहुत सस्ते में बिक गया है उसका ।
कीमत के लिए अब तो बाज़ार ज़रूरी है ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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