तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

ग़ज़ल - ऐ चाँद अभी तेरा दीदार जरूरी है

221 1222 221 1222

इक  बार  तेरे  दिल  का  इकरार  जरूरी है ।
ऐ   चाँद  अभी   तेरा   दीदार   जरूरी   है ।।

माना  कि  मुहब्बत  में  हैं   ज़ख्म  बहुत  मिलते ।
कुछ सिलसिलों की खातिर कुछ ख्वार जरूरी है।।

फैशन के  जमाने  मे बदला है चलन  ऐसा ।
उनको  तो  गुलाबों  सा रुखसार जरूरी है ।।

खामोश  निगाहों  से  देखा  न करो उसको ।
दिलवर पे असर खातिर इज़हार जरूरी है ।।

महबूब की जुल्फों पर लगती है नजर उनकी ।
अब  घर  के  दरीचों  पर  दीवार  जरूरी  है ।।

आहट से मिरे  दिल मे आये सुकूं का मौसम ।
पायल में खनकती  सी झनकार  जरूरी  है ।।

हर बात में हाँ करना मतलब की है निशानी ।
सच्ची  है मुहब्बत तो  इनकार   जरूरी  है ।।

ईमान बहुत सस्ते  में बिक  गया  है  उसका ।
कीमत के  लिए  अब  तो बाज़ार ज़रूरी है ।।

       
        --नवीन मणि त्रिपाठी 
        मौलिक अप्रकाशित

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