212 212 212
आप भी जुल्म ढाने लगे ।
क्या हुआ जो सताने लगे।।
दिल तो था आपके पास ही ।
आप क्यूँ आजमाने लगे ।।
क्या कमी थी मेरे हुस्न में ।
गैर पर दिल लुटाने लगे ।।
रफ्ता रफ्ता नजर से मेरी ।
आप दिल में समाने लगे ।।
क्या हुआआपकोआजकल ।
बेसबब मुस्कुराने लगे ।।
कर गयी सच बयाँआंख जब।
आप क्यूँ तिलमिलाने लगे ।।
जाम साकी पिला मत उन्हें।
अब कदम डगमगाने लगे ।।
जब निभाने की चर्चा हुई ।
आप क्यूँ मुँह चुराने लगे ।।
इक मुलाकात पर लोग क्यूँ।
उंगलिया फिर उठाने लगे ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
आप भी जुल्म ढाने लगे ।
क्या हुआ जो सताने लगे।।
दिल तो था आपके पास ही ।
आप क्यूँ आजमाने लगे ।।
क्या कमी थी मेरे हुस्न में ।
गैर पर दिल लुटाने लगे ।।
रफ्ता रफ्ता नजर से मेरी ।
आप दिल में समाने लगे ।।
क्या हुआआपकोआजकल ।
बेसबब मुस्कुराने लगे ।।
कर गयी सच बयाँआंख जब।
आप क्यूँ तिलमिलाने लगे ।।
जाम साकी पिला मत उन्हें।
अब कदम डगमगाने लगे ।।
जब निभाने की चर्चा हुई ।
आप क्यूँ मुँह चुराने लगे ।।
इक मुलाकात पर लोग क्यूँ।
उंगलिया फिर उठाने लगे ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें