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जो बात है सही वो छुपाई न जाएगी ।
झूठी कसम तो आप की खाई न जाएगी ।।
बस हादसे ही हादसे मिलते रहे मुझे ।
लिक्खी खुदा की बात मिटाई न जाएगी ।।
चेहरे हैं बेनकाब यहाँ कातिलों के अब।
लेकिन सजाये मौत सुनाई न जाएगी ।।
ज़ाहिद खुदा की ओर मुखातिब न कर मुझे ।
काफ़िर हूँ मैं नमाज़ पढ़ाई न जाएगी ।।
कितने थे बेकरार तेरे इंतजार में ।
बरसात की वो रात भुलाई न जाएगी ।।
देखा जो उसने आपको जबसे निगाह भर ।
ऐसी लगी है आग बुझाई न जाएगी ।।
यूँ मैकदा से हो के हैं लौटे तमाम रिन्द ।
शायद अभी शराब पिलाई न जयेगी ।।
गुजरेगी उम्र आपकी बस तिश्नगी के साथ ।
चिलमन तो अपने आप हटाई न जाएगी ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
जो बात है सही वो छुपाई न जाएगी ।
झूठी कसम तो आप की खाई न जाएगी ।।
बस हादसे ही हादसे मिलते रहे मुझे ।
लिक्खी खुदा की बात मिटाई न जाएगी ।।
चेहरे हैं बेनकाब यहाँ कातिलों के अब।
लेकिन सजाये मौत सुनाई न जाएगी ।।
ज़ाहिद खुदा की ओर मुखातिब न कर मुझे ।
काफ़िर हूँ मैं नमाज़ पढ़ाई न जाएगी ।।
कितने थे बेकरार तेरे इंतजार में ।
बरसात की वो रात भुलाई न जाएगी ।।
देखा जो उसने आपको जबसे निगाह भर ।
ऐसी लगी है आग बुझाई न जाएगी ।।
यूँ मैकदा से हो के हैं लौटे तमाम रिन्द ।
शायद अभी शराब पिलाई न जयेगी ।।
गुजरेगी उम्र आपकी बस तिश्नगी के साथ ।
चिलमन तो अपने आप हटाई न जाएगी ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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