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बड़ी मुद्दत से टाला जा रहा है ।
किसी का जुल्म पाला जा रहा है ।।
मुझे मालूम है वह बेख़ता थी ।
किया बेशक हलाला जा रहा है ।।
लगीं हैं बोलियां फिर जिस्म पर क्यूँ ।
यहाँ सिक्का उछाला जा रहा है ।।
कहीं मैं खो न जाऊं तीरगी में ।
मेरे घर से उजाला जा रहा है ।।
उसे महबूब की आहट मिली क्या ।
चमन को फिर खंगाला जा रहा है ।।
नशे में है कहाँ वह रिन्द अब तक ।
कदम उससे संभाला जा रहा है ।।
तुम्हारे इश्क में लुटता रहा मैं ।
दिवाला फिर निकाला जा रहा है ।।
करेगा काम क्यों वह नौजवां अब ।
उदर तक तो निवाला जा रहा है ।।
उसे इज्जत मिलेगी कौन जाने ।
मेरा लेकर हवाला जा रहा है ।।
रहूँ खामोश अक्सर दर्द सहकर ।
मुझे सांचे में ढाला जा रहा है ।।
बला का खूब सूरत चाँद होगा ।
जिसे लेने रिसाला जा रहा है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
बड़ी मुद्दत से टाला जा रहा है ।
किसी का जुल्म पाला जा रहा है ।।
मुझे मालूम है वह बेख़ता थी ।
किया बेशक हलाला जा रहा है ।।
लगीं हैं बोलियां फिर जिस्म पर क्यूँ ।
यहाँ सिक्का उछाला जा रहा है ।।
कहीं मैं खो न जाऊं तीरगी में ।
मेरे घर से उजाला जा रहा है ।।
उसे महबूब की आहट मिली क्या ।
चमन को फिर खंगाला जा रहा है ।।
नशे में है कहाँ वह रिन्द अब तक ।
कदम उससे संभाला जा रहा है ।।
तुम्हारे इश्क में लुटता रहा मैं ।
दिवाला फिर निकाला जा रहा है ।।
करेगा काम क्यों वह नौजवां अब ।
उदर तक तो निवाला जा रहा है ।।
उसे इज्जत मिलेगी कौन जाने ।
मेरा लेकर हवाला जा रहा है ।।
रहूँ खामोश अक्सर दर्द सहकर ।
मुझे सांचे में ढाला जा रहा है ।।
बला का खूब सूरत चाँद होगा ।
जिसे लेने रिसाला जा रहा है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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