2122 1212 22
जाम छलका है पास आ जाओ ।
ले के खाली गिलास आ जाओ ।।
जिंदगी फिर बुला रही है तुझे ।
लब पे आई है प्यास आ जाओ ।
हिज्र के बाद चैन मिलता कब ।
मन अगर है उदास आ जाओ ।।
तीरगी बेहिसाब कायम है ।
चाहिए अब उजास आ जाओ ।।
कोई बैठा है मुन्तजिर होकर ।
मत लगाओ कयास आ जाओ ।।
आ रहे हैं तमाम भौरे अब ।
गंध में है मिठास आ जाओ ।।
देखना है अगर तुम्हें जन्नत ।
तुम हमारे निवास आ जाओ ।।
बारिशें बेसबब नहीं होतीं ।
आज भीगा लिबास आ जाओ ।।
इस तरह बेनकाब मत निकलो ।
गैर को तुम न रास आ जाओ ।।
बात इतनी सी और कहनी थी ।
इक पुरानी है आस आ जाओ ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी।
मौलिक अप्रकाशित
जाम छलका है पास आ जाओ ।
ले के खाली गिलास आ जाओ ।।
जिंदगी फिर बुला रही है तुझे ।
लब पे आई है प्यास आ जाओ ।
हिज्र के बाद चैन मिलता कब ।
मन अगर है उदास आ जाओ ।।
तीरगी बेहिसाब कायम है ।
चाहिए अब उजास आ जाओ ।।
कोई बैठा है मुन्तजिर होकर ।
मत लगाओ कयास आ जाओ ।।
आ रहे हैं तमाम भौरे अब ।
गंध में है मिठास आ जाओ ।।
देखना है अगर तुम्हें जन्नत ।
तुम हमारे निवास आ जाओ ।।
बारिशें बेसबब नहीं होतीं ।
आज भीगा लिबास आ जाओ ।।
इस तरह बेनकाब मत निकलो ।
गैर को तुम न रास आ जाओ ।।
बात इतनी सी और कहनी थी ।
इक पुरानी है आस आ जाओ ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी।
मौलिक अप्रकाशित
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