212 212 212 212
क्या बताऊँ कि हम से वो क्या ले गई ।
इक नज़र प्यार की बेवफ़ा ले गई ।।
इस तरह से अदाएं मचलने लगीं ।
तिश्नगी रूह तक वह जगा ले गई ।।
जबभी निकले हैंअल्फाज दिल से कभी ।
वह मुहब्बत ग़ज़ल में निभा ले गई ।।
एक दीवानगी सी हुई उनको तब ।
जब भी खुशबू बदन की सबा ले गई ।।
बेकरारी में गुजरेंगी रातें वहां ।
तू मेरे इश्क़ का तजरिबा ले गयी ।।
लौट आओ मुझे होश खोना है फिर ।
रूठकर क्यूँ मेरा मैकदा ले गयी ।।
यह शरारत नही थी तो क्या थी बता ।
वस्ल का तू मेरे रास्ता ले गयी ।।
लुट गए आप भी लुट गयीं हस्तियां ।
जब चुरा कर वो दिल ख़मखा ले गयी ।।
नाज़ था उसको हुस्नो अदा पर बहुत ।
आशिकी हर अना को उड़ा ले गई ।।
एक नागन के फन की तरह थी नजर ।
डस लिया जब वो नजरें झुका ले गई ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
क्या बताऊँ कि हम से वो क्या ले गई ।
इक नज़र प्यार की बेवफ़ा ले गई ।।
इस तरह से अदाएं मचलने लगीं ।
तिश्नगी रूह तक वह जगा ले गई ।।
जबभी निकले हैंअल्फाज दिल से कभी ।
वह मुहब्बत ग़ज़ल में निभा ले गई ।।
एक दीवानगी सी हुई उनको तब ।
जब भी खुशबू बदन की सबा ले गई ।।
बेकरारी में गुजरेंगी रातें वहां ।
तू मेरे इश्क़ का तजरिबा ले गयी ।।
लौट आओ मुझे होश खोना है फिर ।
रूठकर क्यूँ मेरा मैकदा ले गयी ।।
यह शरारत नही थी तो क्या थी बता ।
वस्ल का तू मेरे रास्ता ले गयी ।।
लुट गए आप भी लुट गयीं हस्तियां ।
जब चुरा कर वो दिल ख़मखा ले गयी ।।
नाज़ था उसको हुस्नो अदा पर बहुत ।
आशिकी हर अना को उड़ा ले गई ।।
एक नागन के फन की तरह थी नजर ।
डस लिया जब वो नजरें झुका ले गई ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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