जुल्म नहीं मैं उन पर ढाने आया हूँ ।
कहते हैं क्यों लोग सताने आया हूँ ।।
तिश्ना लब को हक़ मिलता है पीने का ।
मै बस अपनी प्यास बुझाने आया हूँ ।।
हंगामा क्यों बरपा है मैखाने में ।
मैं तो सारा दाम चुकाने आया. हूँ ।।
उनसे कह दो वक्त वस्ल का आया है ।
आज हरम में रात बिताने आया हूँ ।।
है मुझ पर इल्जाम जमाने का यारों ।
मैं तो उसकी नींद चुराने आया हूँ ।।
फितरत तेरी थी तूने दिल तोड़ दिया ।
लेकिन मैं तो प्यार निभाने आया हूँ ।।
मुझसे मेरा हाल न पूछो ऐ जानां।
मैं तुझमे अहसास जगाने आया हूँ ।।
हिज्र में कितनी चोट मिली है इस दिल को ।
आज तुझे हर जख्म दिखाने आया हूँ ।।
दीवानों की रात गुजरती है कैसे ।
मैं तुमको वह हाल सुनाने आया हूँ ।।
मैं ग़ज़लों से मोती चुनकर रखता था ।
आज तुम्हे इक शेर सुनाने आया हूँ ।।
आवारा बादल कहते हैं लोग मुझे ।
फिर भी उनकी प्यास बुझाने आया हूँ ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
कहते हैं क्यों लोग सताने आया हूँ ।।
तिश्ना लब को हक़ मिलता है पीने का ।
मै बस अपनी प्यास बुझाने आया हूँ ।।
हंगामा क्यों बरपा है मैखाने में ।
मैं तो सारा दाम चुकाने आया. हूँ ।।
उनसे कह दो वक्त वस्ल का आया है ।
आज हरम में रात बिताने आया हूँ ।।
है मुझ पर इल्जाम जमाने का यारों ।
मैं तो उसकी नींद चुराने आया हूँ ।।
फितरत तेरी थी तूने दिल तोड़ दिया ।
लेकिन मैं तो प्यार निभाने आया हूँ ।।
मुझसे मेरा हाल न पूछो ऐ जानां।
मैं तुझमे अहसास जगाने आया हूँ ।।
हिज्र में कितनी चोट मिली है इस दिल को ।
आज तुझे हर जख्म दिखाने आया हूँ ।।
दीवानों की रात गुजरती है कैसे ।
मैं तुमको वह हाल सुनाने आया हूँ ।।
मैं ग़ज़लों से मोती चुनकर रखता था ।
आज तुम्हे इक शेर सुनाने आया हूँ ।।
आवारा बादल कहते हैं लोग मुझे ।
फिर भी उनकी प्यास बुझाने आया हूँ ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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