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तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो कि न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।
तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वो तमाम उम्र गुजार दी तेरी इक अदा की फ़िराक़ में ।
मेरे ख्वाब का था वो हौसला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
तेरी छत पे जो थी नजर गयी कोई रूह छू के मचल गयी ।
था नया नया सा वो सिलसिला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
यूँ ही बेसबब थीं वो आधियाँ कई ख्वाहिशों को मिटा गयीं ।
मेरी जिंदगी का वो हादसा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो कि न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।
तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
वो तमाम उम्र गुजार दी तेरी इक अदा की फ़िराक़ में ।
मेरे ख्वाब का था वो हौसला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
तेरी छत पे जो थी नजर गयी कोई रूह छू के मचल गयी ।
था नया नया सा वो सिलसिला तुझे याद हो कि न याद हो ।।
यूँ ही बेसबब थीं वो आधियाँ कई ख्वाहिशों को मिटा गयीं ।
मेरी जिंदगी का वो हादसा तुझे याद हो कि न याद हो ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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