212 212 212 212
हो गईं इश्क में कैसी दुश्वारियां ।
हाथ आती गयीं सिर्फ नाकामियां।।
बस हुई ही नहीं उनसे नजदीकियां ।
वो बताते रहे सिर्फ मजबूरियां ।
इस तरह मुझपे इल्जाम मत दीजिये ।
कब छुपीं आप से मेरी लाचारियां ।।
उनकी तारीफ़ करती रहीं चाहतें ।
वो गिनाते रहे बस मेरी खामियां ।।
दिल चुरा ले गई आपकी इक नजर ।
कर गए आप कैसे ये गुस्ताखियां ।
दिल जलाने की साजिश से क्या फायदा ।
दे गया कोई जब आपको चूड़ियां ।।
उन दरख्तों से मैं क्या शिकायत करूँ ।
जब लचकती रहीं बाग में टहनियां।।
एक आई लहर सब उड़ा ले गयी ।
कुछ बचा ही नहीं प्यार के दरमियाँ ।।
पार करने का जब हौसला ही न था ।
क्यों समंदर में उतरीं नईं कश्तियाँ ।।
हिज्र के रास्ते पर चला था मगर ।
रुक गये यूँ कदम देखकर सिसकियाँ ।।
हम घटाते रहे उम्र भर फासले ।
तुम बढाते गये बेसबब दूरियाँ ।।
--- नवीन
हो गईं इश्क में कैसी दुश्वारियां ।
हाथ आती गयीं सिर्फ नाकामियां।।
बस हुई ही नहीं उनसे नजदीकियां ।
वो बताते रहे सिर्फ मजबूरियां ।
इस तरह मुझपे इल्जाम मत दीजिये ।
कब छुपीं आप से मेरी लाचारियां ।।
उनकी तारीफ़ करती रहीं चाहतें ।
वो गिनाते रहे बस मेरी खामियां ।।
दिल चुरा ले गई आपकी इक नजर ।
कर गए आप कैसे ये गुस्ताखियां ।
दिल जलाने की साजिश से क्या फायदा ।
दे गया कोई जब आपको चूड़ियां ।।
उन दरख्तों से मैं क्या शिकायत करूँ ।
जब लचकती रहीं बाग में टहनियां।।
एक आई लहर सब उड़ा ले गयी ।
कुछ बचा ही नहीं प्यार के दरमियाँ ।।
पार करने का जब हौसला ही न था ।
क्यों समंदर में उतरीं नईं कश्तियाँ ।।
हिज्र के रास्ते पर चला था मगर ।
रुक गये यूँ कदम देखकर सिसकियाँ ।।
हम घटाते रहे उम्र भर फासले ।
तुम बढाते गये बेसबब दूरियाँ ।।
--- नवीन
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