2122 1212 22
आज हद से गुजर गए कुछ लोग ।
यूँ नजर से उतर गए कुछ लोग ।।
इस कफ़स में नए परिंदे हम ।
पर हमारा क़तर गए कुछ लोग ।।
करके वादा यहां तो शिद्दत से ।
बेसबब ही मुकर गए कुछ लोग ।।
आशिकी उनके बस की बात कहाँ ।
चोट खाकर सुधर गए कुछ लोग ।।
अब कसौटी पे उनको क्या रखना ।
आजमाते ही डर गए कुछ लोग ।।
हर तरफ जल रही यहां बस्ती ।
कौन जाने किधर गए कुछ लोग ।।
छोड़िये बात अब मुहब्बत की ।
टूट कर फिर बिखर गए कुछ लोग ।।
क्या बताऊँ मैं किस तरह दिल में ।
दर्द बन कर ठहर गए कुछ लोग ।।
देखकर जुल्म बेटियों पर तो।
मुल्क में भी सिहर गए कुछ लोग ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
आज हद से गुजर गए कुछ लोग ।
यूँ नजर से उतर गए कुछ लोग ।।
इस कफ़स में नए परिंदे हम ।
पर हमारा क़तर गए कुछ लोग ।।
करके वादा यहां तो शिद्दत से ।
बेसबब ही मुकर गए कुछ लोग ।।
आशिकी उनके बस की बात कहाँ ।
चोट खाकर सुधर गए कुछ लोग ।।
अब कसौटी पे उनको क्या रखना ।
आजमाते ही डर गए कुछ लोग ।।
हर तरफ जल रही यहां बस्ती ।
कौन जाने किधर गए कुछ लोग ।।
छोड़िये बात अब मुहब्बत की ।
टूट कर फिर बिखर गए कुछ लोग ।।
क्या बताऊँ मैं किस तरह दिल में ।
दर्द बन कर ठहर गए कुछ लोग ।।
देखकर जुल्म बेटियों पर तो।
मुल्क में भी सिहर गए कुछ लोग ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
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