22 22 22 22
जिंदा क्या अरमान नहीं है ।
तुझमें शायद जान नहीं है ।।
कतरा कतरा अम्न जला है ।
अब वो हिंदुस्तान नहीं है ।।
चन्द फरेबी के वादों से ।
ये जनता अनजान नहीं है ।।
कौन सुनेगा तेरी बातें ।
सच की जब पहचान नहीं है।।
निकलो जरा भरम से तुम भी ।
टैक्स कोई आसान नहीं है।।
रोज कमाई गाढ़ी लुटती ।
मत समझो अनुमान नहीं है ।।
पढलिख कर वो बना निठल्ला।
क्या तुमको संज्ञान नहीं है।।
कुर्सी पाकर ऐंठ रहे हो ।
कहते हो अभिमान नहीं है ।।
जख्म सभी जिंदा हैं अब तक ।
दिल मेरा नादान नहीं है ।।
जात पात की लीक से हटना ।
अंदर से फरमान नहीं है ।।
समझ रहे हैं हम भी साहब ।
पक्की अभी जुबान नहीं है ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
जिंदा क्या अरमान नहीं है ।
तुझमें शायद जान नहीं है ।।
कतरा कतरा अम्न जला है ।
अब वो हिंदुस्तान नहीं है ।।
चन्द फरेबी के वादों से ।
ये जनता अनजान नहीं है ।।
कौन सुनेगा तेरी बातें ।
सच की जब पहचान नहीं है।।
निकलो जरा भरम से तुम भी ।
टैक्स कोई आसान नहीं है।।
रोज कमाई गाढ़ी लुटती ।
मत समझो अनुमान नहीं है ।।
पढलिख कर वो बना निठल्ला।
क्या तुमको संज्ञान नहीं है।।
कुर्सी पाकर ऐंठ रहे हो ।
कहते हो अभिमान नहीं है ।।
जख्म सभी जिंदा हैं अब तक ।
दिल मेरा नादान नहीं है ।।
जात पात की लीक से हटना ।
अंदर से फरमान नहीं है ।।
समझ रहे हैं हम भी साहब ।
पक्की अभी जुबान नहीं है ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
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