1212 1212 1212
जगी थीं जो भी हसरतें, सुला गए ।
निशानियाँ वो प्यार की मिटा गए।।
उन्हें था तीरगी से प्यार क्या बहुत ।
उम्मीद का चिराग तक बुझा गए ।।
पता चला न, सर्द कब हुई हवा।
ठिठुर ठिठुर के रात हम बिता गए ।।
लिखा हुआ था जो मेरे नसीब में ।
रकीब थे जो फैसले सुना गए ।।
नज़र पड़ी न आसुओं पे आपकी ।
जो मुस्कुरा के मेरा दिल दुखा गये ।।
न जाने कहकशॉ से टूटकर कई ।
सितारे क्यों ज़मीं पे आज आ गए ।।
गुलों के हाल पे कली जो थी दुखी ।
उसी की लोग कीमतें लगा गए ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
जगी थीं जो भी हसरतें, सुला गए ।
निशानियाँ वो प्यार की मिटा गए।।
उन्हें था तीरगी से प्यार क्या बहुत ।
उम्मीद का चिराग तक बुझा गए ।।
पता चला न, सर्द कब हुई हवा।
ठिठुर ठिठुर के रात हम बिता गए ।।
लिखा हुआ था जो मेरे नसीब में ।
रकीब थे जो फैसले सुना गए ।।
नज़र पड़ी न आसुओं पे आपकी ।
जो मुस्कुरा के मेरा दिल दुखा गये ।।
न जाने कहकशॉ से टूटकर कई ।
सितारे क्यों ज़मीं पे आज आ गए ।।
गुलों के हाल पे कली जो थी दुखी ।
उसी की लोग कीमतें लगा गए ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
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