2122 2122 2122 212
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।
इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।
फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी ।
कर रहीं हैं कुछ सियासत दिल जलाने के लिए ।।
घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।
चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो क्यों ।
तुम यहाँ भी आ गए मुझको सताने के लिए ।।
ये समंदर चल पड़ा लेने उसे आगोश में ।
उठ रहीं लहरें बहुत दरिया को पाने के लिए ।।
शक़ की बुनियादों पे कोई ताज कायम कब रहा ।
आशिकी होती कहाँ है आजमाने के लिए ।।
हो गया कुर्बान वो मजबूरियों के नाम पर ।
कौन जीना चाहता है मुँह छुपाने के लिए ।।
इश्क़ में तू डूब लेकिन याद रख इतना सबक़ ।
लोग मिलते हैं यहाँ ख़्वाहिश जताने के लिए ।।
इस तरह तपती हुई प्यासी जमीं को देखकर ।
आ रहे बादल यहाँ कुछ दिन बिताने के लिए ।।
बारिशों के दौर में अब हो गए चेहरे हरे ।
है किसी मधुमास का यौवन रिझाने के लिए ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।
इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।
फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी ।
कर रहीं हैं कुछ सियासत दिल जलाने के लिए ।।
घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।
चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो क्यों ।
तुम यहाँ भी आ गए मुझको सताने के लिए ।।
ये समंदर चल पड़ा लेने उसे आगोश में ।
उठ रहीं लहरें बहुत दरिया को पाने के लिए ।।
शक़ की बुनियादों पे कोई ताज कायम कब रहा ।
आशिकी होती कहाँ है आजमाने के लिए ।।
हो गया कुर्बान वो मजबूरियों के नाम पर ।
कौन जीना चाहता है मुँह छुपाने के लिए ।।
इश्क़ में तू डूब लेकिन याद रख इतना सबक़ ।
लोग मिलते हैं यहाँ ख़्वाहिश जताने के लिए ।।
इस तरह तपती हुई प्यासी जमीं को देखकर ।
आ रहे बादल यहाँ कुछ दिन बिताने के लिए ।।
बारिशों के दौर में अब हो गए चेहरे हरे ।
है किसी मधुमास का यौवन रिझाने के लिए ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
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