2122 1212 22
उसकी खुशबू तमाम लाती है ।।
जो हवा घर से उसके आती है ।।
आज मौसम है खुश गवार बहुत ।
बे वफ़ा तेरी याद आती. है ।।
कितनी मशहूर हो गई शोहरत ।
नेक नीयत शबाब लाती है ।।
टूटकर. मैं भी कशमकश में हूँ ।
रात उलझन में बीत जाती है ।।
ओढ़ लेती बड़े अदब से वो ।
जब दुपट्टा हवा उड़ाती है ।।
यूँ तमन्ना तमाम क्या रक्खूँ ।
ज़िन्दगी रोज़ तोड़ जाती है ।।
हम भी दीवानगी से हैं गुजरे ।
वक्त कैसा हयात लाती है ।।
जुल्फ अपनी सियाह कर लेकिन ।
उम्र रंगत तेरी बताती. है ।।
इश्क छिपता नही छिपाये से ।
कुछ निशानी भी बोल जाती है।।
उम्र कमसिन जरा सँभल के चलो।
आशिकी रोज आजमाती है ।।
मत करो याद इतनी शिद्दत से ।
आँख से नींद रूठ जाती है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
उसकी खुशबू तमाम लाती है ।।
जो हवा घर से उसके आती है ।।
आज मौसम है खुश गवार बहुत ।
बे वफ़ा तेरी याद आती. है ।।
कितनी मशहूर हो गई शोहरत ।
नेक नीयत शबाब लाती है ।।
टूटकर. मैं भी कशमकश में हूँ ।
रात उलझन में बीत जाती है ।।
ओढ़ लेती बड़े अदब से वो ।
जब दुपट्टा हवा उड़ाती है ।।
यूँ तमन्ना तमाम क्या रक्खूँ ।
ज़िन्दगी रोज़ तोड़ जाती है ।।
हम भी दीवानगी से हैं गुजरे ।
वक्त कैसा हयात लाती है ।।
जुल्फ अपनी सियाह कर लेकिन ।
उम्र रंगत तेरी बताती. है ।।
इश्क छिपता नही छिपाये से ।
कुछ निशानी भी बोल जाती है।।
उम्र कमसिन जरा सँभल के चलो।
आशिकी रोज आजमाती है ।।
मत करो याद इतनी शिद्दत से ।
आँख से नींद रूठ जाती है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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