2122 2122 212
अब न कोई जंग हारा कीजिये ।।
अब बुलन्दी पर सितारा कीजिये ।।
चाहिए गर कामयाबी इश्क़ में ।
रात दिन सूरत निहारा कीजिये ।।
चाँद को ला दूं जमी पर आज ही ।
आप मुझको इक इशारा कीजिये ।।
बेखुदी में कह दिया होगा कभी ।
बात दिल मे मत उतारा कीजिये ।।
पालिये उम्मीद मत सरकार से ।
जो मिले उसमें गुजारा कीजिये ।।
ले लिए हैं वोट सारे आपने ।
काम भी कुछ तो हमारा कीजिये ।।
अब मुकर जाते हैं अपने, देखकर ।
अब खुदा का ही सहारा कीजिये ।।
दे रहीं हैं कुछ गवाही झुर्रियां ।
ज़ुल्फ़ इतनी मत सँवारा कीजिये ।।
गर बुढापे में जवां दिल चाहिए ।
हुस्न का भी इक नज़ारा कीजिये ।।
आपकी फितरत से भी वाकिफ हैं हम ।
शेखियाँ यूँ मत बघारा कीजिये ।।
हो गया है इश्क़ तो दिल में रहें ।
इस तरह तो मत किनारा कीजिये ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
अब न कोई जंग हारा कीजिये ।।
अब बुलन्दी पर सितारा कीजिये ।।
चाहिए गर कामयाबी इश्क़ में ।
रात दिन सूरत निहारा कीजिये ।।
चाँद को ला दूं जमी पर आज ही ।
आप मुझको इक इशारा कीजिये ।।
बेखुदी में कह दिया होगा कभी ।
बात दिल मे मत उतारा कीजिये ।।
पालिये उम्मीद मत सरकार से ।
जो मिले उसमें गुजारा कीजिये ।।
ले लिए हैं वोट सारे आपने ।
काम भी कुछ तो हमारा कीजिये ।।
अब मुकर जाते हैं अपने, देखकर ।
अब खुदा का ही सहारा कीजिये ।।
दे रहीं हैं कुछ गवाही झुर्रियां ।
ज़ुल्फ़ इतनी मत सँवारा कीजिये ।।
गर बुढापे में जवां दिल चाहिए ।
हुस्न का भी इक नज़ारा कीजिये ।।
आपकी फितरत से भी वाकिफ हैं हम ।
शेखियाँ यूँ मत बघारा कीजिये ।।
हो गया है इश्क़ तो दिल में रहें ।
इस तरह तो मत किनारा कीजिये ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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