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एक शिगूफ़ा फ़िर से लाया जा सकता है ।
कोई झूठा ख़्वाब दिखाया जा सकता है ।। 1
उनके वादे पूरे होंगे, नामुमकिन है ।
पर कुछ दिन तक दिल बहलाया जा सकता है ।।2
काठ की हांडी चढ़ती नहीं दुबारा लेकिन ।
ख़ास बताकर मन भरमाया जा सकता है ।।3
झूठ पे ये दुनिया पीटेगी ताली -थाली ।
सच पर सौ इल्ज़ाम लगाया जा सकता है ।।4
नीयत गर हो साफ़ , इरादे सच्चे हों तो ।
दुश्मन से भी हाथ मिलाया जा सकता है ।।5
बेशक़ तोपें जला न पाई हैं देशों को ।
नफ़रत से हर मुल्क जलाया जा सकता है ।।6
अम्न की चर्चा छोड़ के चर्चा इस पर है अब ।
किसका कितना ख़ून बहाया जा सकता है ।।7
-- नवीन मणि त्रिपाठी
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