2122 1122 22
अपने जुमलों में असर पैदा कर ।।
कुछ तो जीने का हुनर पैदा कर ।।
दिल जलाने की अगर है ख्वाहिश ।
तू भी आंखों में शरर पैदा कर ।।
गर ज़रूरत है तुझे ख़िदमत की ।
मेरी बस्ती में नफ़र पैदा कर ।।
जिंदगी मांगेगी हर एक मांगेगी ।
इस तरह तू न गुहर पैदा कर ।।
देखता है वो तेरा जुल्मो सितम।
दिल में भगवान का डर पैदा कर ।
अब तो सूरज से है तुझको खतरा ।
सह्न में कोई शज़र पैदा कर ।।
तीरगी से है अदावत तेरी ।
काली रातों में क़मर पैदा कर ।।
देख लूं मैं भी तुझे जी भर के ।
या ख़ुदा मुझमें बशर पैदा कर ।।
बज्मे दिल से तू चला जायेगा ।
हिज्र के नाम ज़िगर पैदा कर ।।
स्याह ये रात गुजरनी मुश्किल ।
अपने दम पे तू सहर पैदा कर ।।
चाहतें मेरी समझने के लिए ।
ऐ सनम एक नज़र पैदा कर ।।
कठिन शब्द के अर्थ
शरर- चिंगारी , सदफ- सीप,बसर -दृष्टि या विज़न, गुहर -मोती, नफ़र -ख़िदमत करने वाला , तीरगी अंधेरा ,अदावत दुश्मनी, शब रात , , क़मर-चाँद , सहर- सुबह, शज़र -पेड़ वृक्ष
डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
अपने जुमलों में असर पैदा कर ।।
कुछ तो जीने का हुनर पैदा कर ।।
दिल जलाने की अगर है ख्वाहिश ।
तू भी आंखों में शरर पैदा कर ।।
गर ज़रूरत है तुझे ख़िदमत की ।
मेरी बस्ती में नफ़र पैदा कर ।।
जिंदगी मांगेगी हर एक मांगेगी ।
इस तरह तू न गुहर पैदा कर ।।
देखता है वो तेरा जुल्मो सितम।
दिल में भगवान का डर पैदा कर ।
अब तो सूरज से है तुझको खतरा ।
सह्न में कोई शज़र पैदा कर ।।
तीरगी से है अदावत तेरी ।
काली रातों में क़मर पैदा कर ।।
देख लूं मैं भी तुझे जी भर के ।
या ख़ुदा मुझमें बशर पैदा कर ।।
बज्मे दिल से तू चला जायेगा ।
हिज्र के नाम ज़िगर पैदा कर ।।
स्याह ये रात गुजरनी मुश्किल ।
अपने दम पे तू सहर पैदा कर ।।
चाहतें मेरी समझने के लिए ।
ऐ सनम एक नज़र पैदा कर ।।
कठिन शब्द के अर्थ
शरर- चिंगारी , सदफ- सीप,बसर -दृष्टि या विज़न, गुहर -मोती, नफ़र -ख़िदमत करने वाला , तीरगी अंधेरा ,अदावत दुश्मनी, शब रात , , क़मर-चाँद , सहर- सुबह, शज़र -पेड़ वृक्ष
डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें