2122 1212 22
जब सबा लौट कर नहीं आती ।
तेरी ख़ुश्बू इधर नहीं आती ।।
मत कहो यार चाँद निकलेगा ।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।।
बात कुछ तो छुपा रहे हैं वो।
नींद क्यों रात भर नहीं आती ।।
मीडिया जब से बिक गयी देखो ।
तब से सच्ची खबर नहीं आती ।।
ज्वार के मुन्तज़िर वो साहिल हैं ।
पास जिनके लहर नहीं आती ।।
आप तो फितरतन छुपा लेते ।
चोट गर कुछ उभर नहीं आती ।।
याद शब भर मुझे सताती जब ।
वक्त पर तब सहर नहीं आती ।।
दिल ज़िगर पलकें कुछ बिछाओ तो ।
हूर यूँ ही उतर नहीं आती ।।
तू उसी राह. पर चलेगा. क्या ।
घर तेरे जो डगर नहीं . आती ।।
कैद करते न जुगनुओं को तो ।
तीरगी इस कदर नहीं आती ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
जब सबा लौट कर नहीं आती ।
तेरी ख़ुश्बू इधर नहीं आती ।।
मत कहो यार चाँद निकलेगा ।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।।
बात कुछ तो छुपा रहे हैं वो।
नींद क्यों रात भर नहीं आती ।।
मीडिया जब से बिक गयी देखो ।
तब से सच्ची खबर नहीं आती ।।
ज्वार के मुन्तज़िर वो साहिल हैं ।
पास जिनके लहर नहीं आती ।।
आप तो फितरतन छुपा लेते ।
चोट गर कुछ उभर नहीं आती ।।
याद शब भर मुझे सताती जब ।
वक्त पर तब सहर नहीं आती ।।
दिल ज़िगर पलकें कुछ बिछाओ तो ।
हूर यूँ ही उतर नहीं आती ।।
तू उसी राह. पर चलेगा. क्या ।
घर तेरे जो डगर नहीं . आती ।।
कैद करते न जुगनुओं को तो ।
तीरगी इस कदर नहीं आती ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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