वक्त ऐसे मत गँवाया कीजिये ।
आइना उनको दिखाया कीजिये।।
मुल्क में है इन्तकामी हौसला ।
हौसलों को मत दबाया कीजिये ।।
आग उगलेगी सुख़नवर की कलम ।
अब न कोई सच छुपाया कीजिये ।।
ख़ाब जो देखें हमारे कत्ल का ।
हर सितम उनपे ही ढाया कीजिये ।।
उनके हमले से फ़जीहत हो गयी।
दिल यहाँ अपना जलाया कीजिये ।।
तब्सिरा करके नये हालात पर ।
आप अपना घर बचाया कीजिये ।।
ये ताल्लुक अब तलक जिंदा था क्यूँ ।
प्यार इतना मत दिखाया कीजिये ।।
खर्च क्यों हो देश के गद्दार पर ।
बोझ इतना मत उठाया कीजिये ।।
दर्द क्या है ये उन्हें भी हो पता ।
कुछ निशाना भी लगाया कीजिये ।।
क्यूँ यकीं करते रहे उन पर मियाँ ।
इस तरह धोखा न खाया कीजिये ।।
देखिए अंजाम अपनी फौज का ।
अब कबूतर मत उड़ाया कीजिये ।।
डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
आइना उनको दिखाया कीजिये।।
मुल्क में है इन्तकामी हौसला ।
हौसलों को मत दबाया कीजिये ।।
आग उगलेगी सुख़नवर की कलम ।
अब न कोई सच छुपाया कीजिये ।।
ख़ाब जो देखें हमारे कत्ल का ।
हर सितम उनपे ही ढाया कीजिये ।।
उनके हमले से फ़जीहत हो गयी।
दिल यहाँ अपना जलाया कीजिये ।।
तब्सिरा करके नये हालात पर ।
आप अपना घर बचाया कीजिये ।।
ये ताल्लुक अब तलक जिंदा था क्यूँ ।
प्यार इतना मत दिखाया कीजिये ।।
खर्च क्यों हो देश के गद्दार पर ।
बोझ इतना मत उठाया कीजिये ।।
दर्द क्या है ये उन्हें भी हो पता ।
कुछ निशाना भी लगाया कीजिये ।।
क्यूँ यकीं करते रहे उन पर मियाँ ।
इस तरह धोखा न खाया कीजिये ।।
देखिए अंजाम अपनी फौज का ।
अब कबूतर मत उड़ाया कीजिये ।।
डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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