221 2121 1221 212
अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1
आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2
नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3
पत्ते भी साथ छोड़ के जाते खिंजां में हैं ।
रोकर बता रहा था यही इक शज़र मुझे ।।4
ये वक्त जश्न का है मेरी ईद आज है ।
मुद्दत के बाद आज दिखा है क़मर मुझे ।।5
ख़ामोश हूँ मैं कब से ज़माने के दर्द पर ।
सुहबत थी आपकी जो हुआ है असर मुझे ।।6
किस किस पे मैं यक़ीन करूँ ऐ खुदा बता ।
ख़ंजर चुभा गया है मेरा मोतबर मुझे ।।7
अपनी ख़ता पे आज वो चहरे उदास हैं ।।
करने चले थे शौक से जो दर बदर मुझे ।।8
किस्मत को राह खूब पता है यहां मियाँ।
ले जाएगी उधर ही वो जाना जिधर मुझे ।।9
मुहमोड़ कर वो चल दिये आया बुरा जो वक्त ।
जो कह रहे थे गर्व से अपना जिग़र मुझे ।।10
इस मैकदे को छोड़ के तौबा करूँ सनम ।
मिल जाये थोड़ी आपसे इज्ज़त अगर मुझे ।।11
मत पूछिए हुजूऱ मेरा हाल चाल अब ।
रहती है आजकल कहाँ अपनी ख़बर मुझे ।।12
नवीन मणि त्रिपाठी
अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1
आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2
नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3
पत्ते भी साथ छोड़ के जाते खिंजां में हैं ।
रोकर बता रहा था यही इक शज़र मुझे ।।4
ये वक्त जश्न का है मेरी ईद आज है ।
मुद्दत के बाद आज दिखा है क़मर मुझे ।।5
ख़ामोश हूँ मैं कब से ज़माने के दर्द पर ।
सुहबत थी आपकी जो हुआ है असर मुझे ।।6
किस किस पे मैं यक़ीन करूँ ऐ खुदा बता ।
ख़ंजर चुभा गया है मेरा मोतबर मुझे ।।7
अपनी ख़ता पे आज वो चहरे उदास हैं ।।
करने चले थे शौक से जो दर बदर मुझे ।।8
किस्मत को राह खूब पता है यहां मियाँ।
ले जाएगी उधर ही वो जाना जिधर मुझे ।।9
मुहमोड़ कर वो चल दिये आया बुरा जो वक्त ।
जो कह रहे थे गर्व से अपना जिग़र मुझे ।।10
इस मैकदे को छोड़ के तौबा करूँ सनम ।
मिल जाये थोड़ी आपसे इज्ज़त अगर मुझे ।।11
मत पूछिए हुजूऱ मेरा हाल चाल अब ।
रहती है आजकल कहाँ अपनी ख़बर मुझे ।।12
नवीन मणि त्रिपाठी
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