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गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।
अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।
भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।
कितना गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।।
मत रोटियों को सेंकिए नफरत की आग पर ।
अम्नो सुकूँ के वास्ते फ़रमान कीजिये ।।
अब रोजियों के नाम भी हो जाए इंतजाम ।
कुछ तो किसी की राह को आसान कीजिये ।।
अपने ही उसूलों को मिटाने लगे हैं अब ।
कुर्सी के लिए आप न विषपान कीजिये ।।
ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।
पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।
क़ातिल बना के छोड़ दिया आपने हुजूऱ ।
इंसान की औलाद को इंसान कीजिये ।।
जुड़ता कहाँ है दिल ये कभी टूटने के बाद ।
मुझको न अभी और परेशान कीजिये ।।
उम्मीद मुझे कुछ नहीं है आप से जनाब ।
हक जो मेरा था शौक से कुर्बान कीजिये ।।
बदलेगी हुकूमत भी ज़माने के साथ साथ ।
छोटा न अभी आप ये अरमान कीजिये ।।
उनको जमी पे लाने का है वक्त आ गया ।
अब फैसलों पे आप भी मतदान कीजिये ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।
अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।
भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।
कितना गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।।
मत रोटियों को सेंकिए नफरत की आग पर ।
अम्नो सुकूँ के वास्ते फ़रमान कीजिये ।।
अब रोजियों के नाम भी हो जाए इंतजाम ।
कुछ तो किसी की राह को आसान कीजिये ।।
अपने ही उसूलों को मिटाने लगे हैं अब ।
कुर्सी के लिए आप न विषपान कीजिये ।।
ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।
पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।
क़ातिल बना के छोड़ दिया आपने हुजूऱ ।
इंसान की औलाद को इंसान कीजिये ।।
जुड़ता कहाँ है दिल ये कभी टूटने के बाद ।
मुझको न अभी और परेशान कीजिये ।।
उम्मीद मुझे कुछ नहीं है आप से जनाब ।
हक जो मेरा था शौक से कुर्बान कीजिये ।।
बदलेगी हुकूमत भी ज़माने के साथ साथ ।
छोटा न अभी आप ये अरमान कीजिये ।।
उनको जमी पे लाने का है वक्त आ गया ।
अब फैसलों पे आप भी मतदान कीजिये ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
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