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क़ज़ा के वास्ते ये इंतिज़ाम किसका है ।
तेरे दयार में जीना हराम किसका है ।।
खुशी अदू को बहुत है जरा पता कीजै ।
बड़े सलीके से आया सलाम किसका है ।।
दिखे हैं रिन्द बहुत तिश्नगी के साथ वहाँ ।
कोई बताए गली में मुकाम किसका है ।।
जो बेचता था सरे आम जिंदगी अपनी ।
खबर तो कर वो अभीतक गुलाम किसका है।।
वो पूछ बैठे हमीं से यूँ अजनबी बनकर ।
के उनके हुस्न पे लिक्खा कलाम किसका है ।।
यही सवाल है साकी से आज महफ़िल में ।
छलक गया जो सरे बज़्म जाम किसका है ।।
फ़ना हुए जो वतन पर वो नाम भूल गए ।
तुम्हारे मुल्क़ में अब एहतराम किसका है ।।
ग़रीब आज भी भूखा मिला है फिर मुझको ।
यहां फ़िज़ूल का ये ताम-झाम किसका है ।।
-डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
क़ज़ा के वास्ते ये इंतिज़ाम किसका है ।
तेरे दयार में जीना हराम किसका है ।।
खुशी अदू को बहुत है जरा पता कीजै ।
बड़े सलीके से आया सलाम किसका है ।।
दिखे हैं रिन्द बहुत तिश्नगी के साथ वहाँ ।
कोई बताए गली में मुकाम किसका है ।।
जो बेचता था सरे आम जिंदगी अपनी ।
खबर तो कर वो अभीतक गुलाम किसका है।।
वो पूछ बैठे हमीं से यूँ अजनबी बनकर ।
के उनके हुस्न पे लिक्खा कलाम किसका है ।।
यही सवाल है साकी से आज महफ़िल में ।
छलक गया जो सरे बज़्म जाम किसका है ।।
फ़ना हुए जो वतन पर वो नाम भूल गए ।
तुम्हारे मुल्क़ में अब एहतराम किसका है ।।
ग़रीब आज भी भूखा मिला है फिर मुझको ।
यहां फ़िज़ूल का ये ताम-झाम किसका है ।।
-डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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