2122 2122 2122
खेल क्या तुम भी सियासी जानते हो ।
कौन कितना है मदारी जानते हो ।।
फैसला ही जब पलट कर चल दिये तुम।।
फिर मिली कैसी निशानी जानते हो।।
हो रहा है देश का सौदा कहीं पर ।
खा रहे कितने दलाली जानते हो।।
मसअले पर था ज़रूरी मशविरा भी ।
तुम हमारी शादमानी जानते हो।।
दांव पर बस दांव लगते जा रहे हैं ।
हो गयी ख़्वाहिश जुआरी जानते हो।।
लोग हैराँ हो रहे हैं देखकर यह ।
तुम सितम की तर्जुमानी जानते हो।।
झपकियों पर क्यूँ उठी हैं उंगलियां ये ।
रात कैसे है गुज़ारी जानते हो।।
हाले दिल बस पूछते हो बारहा तुम ।
क्यों गिरा आंखों से पानी जानते हो ।।
चन्द उम्मीदों की ख़ातिर सांस जिंदा ।
यार तुम ये बेक़रारी जानते हो ।
मैं अदा कैसे करूँगा कर्ज कोई।
बेटियां घर में सयानी जानते हो।।
वक्त पर परखा गया वह आदमी जब ।
सारा जुमला है चुनावी जानते हो ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
खेल क्या तुम भी सियासी जानते हो ।
कौन कितना है मदारी जानते हो ।।
फैसला ही जब पलट कर चल दिये तुम।।
फिर मिली कैसी निशानी जानते हो।।
हो रहा है देश का सौदा कहीं पर ।
खा रहे कितने दलाली जानते हो।।
मसअले पर था ज़रूरी मशविरा भी ।
तुम हमारी शादमानी जानते हो।।
दांव पर बस दांव लगते जा रहे हैं ।
हो गयी ख़्वाहिश जुआरी जानते हो।।
लोग हैराँ हो रहे हैं देखकर यह ।
तुम सितम की तर्जुमानी जानते हो।।
झपकियों पर क्यूँ उठी हैं उंगलियां ये ।
रात कैसे है गुज़ारी जानते हो।।
हाले दिल बस पूछते हो बारहा तुम ।
क्यों गिरा आंखों से पानी जानते हो ।।
चन्द उम्मीदों की ख़ातिर सांस जिंदा ।
यार तुम ये बेक़रारी जानते हो ।
मैं अदा कैसे करूँगा कर्ज कोई।
बेटियां घर में सयानी जानते हो।।
वक्त पर परखा गया वह आदमी जब ।
सारा जुमला है चुनावी जानते हो ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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