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वस्ल का आप इंतज़ाम करें ।
शाम कोई तो मेरे नाम करें ।।
कोई उम्मीद पालकर तुमसे ।
चैन कब तक भला हराम करें ।।
ख़ास जलवा है आपका साहिब ।
लोग तो हुस्न को सलाम करें ।।
कुछ भरोसा तो दीजिये वरना ।
आप से हम भी राम राम करें ।।
चांद बेशक़ जमीं पे आएगा ।
दिल में हासिल कोई मुकाम करें ।।
हमने पलकें बिछा दी राहों में ।
किस तरह और एहतराम करें ।।
इश्क़ नीलाम हो रहा जब है ।
ख़ास बोली का एहतमाम करें ।।
बच के रहिये ज़रा हसीनों से ।
इक तबस्सुम से जो गुलाम करें ।।
अब मुनाफ़ा की बात मत करिए ।
आप अब और कोई काम करें ।।
छू रही आसमाँ को महंगाई ।
शादियों में न तामझाम करें ।।
दौलतों पर नज़र हुई उनकी।
जाने क्या क्या यहां निज़ाम करें ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
वस्ल का आप इंतज़ाम करें ।
शाम कोई तो मेरे नाम करें ।।
कोई उम्मीद पालकर तुमसे ।
चैन कब तक भला हराम करें ।।
ख़ास जलवा है आपका साहिब ।
लोग तो हुस्न को सलाम करें ।।
कुछ भरोसा तो दीजिये वरना ।
आप से हम भी राम राम करें ।।
चांद बेशक़ जमीं पे आएगा ।
दिल में हासिल कोई मुकाम करें ।।
हमने पलकें बिछा दी राहों में ।
किस तरह और एहतराम करें ।।
इश्क़ नीलाम हो रहा जब है ।
ख़ास बोली का एहतमाम करें ।।
बच के रहिये ज़रा हसीनों से ।
इक तबस्सुम से जो गुलाम करें ।।
अब मुनाफ़ा की बात मत करिए ।
आप अब और कोई काम करें ।।
छू रही आसमाँ को महंगाई ।
शादियों में न तामझाम करें ।।
दौलतों पर नज़र हुई उनकी।
जाने क्या क्या यहां निज़ाम करें ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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