2122 1212 22
इक ठिकाना तलाशता हूँ मैं ।
टूटा पत्ता दरख़्त का हूँ मैं ।।
कुछ तो मुझको पढा करो यारो ।
वक्त का एक फ़लसफ़ा हूँ मैं ।।
हैसियत पूछते हैं क्यूं साहब ।
बेख़ुदी में बहुत लुटा हूँ मैं ।।
इश्क़ की बात आप मत करिए ।
रफ़्ता रफ़्ता सँभल चुका हूँ मैं ।।
चाँद इक दिन उतर के आएगा ।
एक मुद्दत से जागता हूँ मैं ।।
खेलिए मुझसे पर सँभल के जरा।
इक खिलौना सा काँच का हूँ मैं ।।
रूठ जाती है बेसबब किस्मत ।
यह ज़माने से देखता हूँ मैं ।।
वो लगाते हैं आग शिद्दत से ।
देखिए अब तलक जला हूँ मैं ।।
ऐ मुसाफ़िर जरा मेरी भी सुन ।
काम आए वो तज्रिबा हूँ मैं ।।
रह गया उम्र भर जो अनसुलझा।
जिंदगी तेरा मसअला हूँ मैं ।।
इतना आसां नहीं मुकर जाना ।
आपका ही तो सिलसिला हूँ मैं ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
इक ठिकाना तलाशता हूँ मैं ।
टूटा पत्ता दरख़्त का हूँ मैं ।।
कुछ तो मुझको पढा करो यारो ।
वक्त का एक फ़लसफ़ा हूँ मैं ।।
हैसियत पूछते हैं क्यूं साहब ।
बेख़ुदी में बहुत लुटा हूँ मैं ।।
इश्क़ की बात आप मत करिए ।
रफ़्ता रफ़्ता सँभल चुका हूँ मैं ।।
चाँद इक दिन उतर के आएगा ।
एक मुद्दत से जागता हूँ मैं ।।
खेलिए मुझसे पर सँभल के जरा।
इक खिलौना सा काँच का हूँ मैं ।।
रूठ जाती है बेसबब किस्मत ।
यह ज़माने से देखता हूँ मैं ।।
वो लगाते हैं आग शिद्दत से ।
देखिए अब तलक जला हूँ मैं ।।
ऐ मुसाफ़िर जरा मेरी भी सुन ।
काम आए वो तज्रिबा हूँ मैं ।।
रह गया उम्र भर जो अनसुलझा।
जिंदगी तेरा मसअला हूँ मैं ।।
इतना आसां नहीं मुकर जाना ।
आपका ही तो सिलसिला हूँ मैं ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें