जिन्दगी थी अमावस की काली निशा ,चादनी की तरह वह बिखरती रही |
रौशनी के लिए जब शलभ चल पड़े ,जाने क्यूँ रात भर वह सिसकती रही ||
जब पपिहरे की पी की सदा को सुनी ,और भौरों ने कलियों से की आशिकी |
कोई शहनाई जब भी बजी रात में ,कल्पना की शमा में मचलती रही ||
मन में तृष्णा जगी फिर क्षुधा भी जगी , एक संगीत की नव विधा भी जगी |
जब सितारों से झंकृत प्रणय स्वर मिले ,गीत रस को लिए वह बहकती रही ||
शब्द थे मौन ,पर नैन सब कह गए ,मन की सारी व्यथा की कथा कह गये |
ज्वार आया समंदर की लहरें उठी ,वह नदी तो मिलन में उफनती रही ||
उम्र दहलीज पर दस्तकें दे गयी , अनछुई सी चुभन भावना कह गयी |
एक शैलाब से डगमगाए कदम ,वक्त की धार से वह फिसलती रही ||
एक ज्वालामुखी जल उठी रात में , साँस दहकी बहुत, तेज अंगार में |
जब हवाओं ने लपटों से की दोस्ती ,मोम का दीप बन के पिघलती रही ||
आज सावन की पुरवा हवा जो चली , द्वंद संकोच ठंढी पवन ले उडी |
चेतना खो गयी एक तन्द्रा मिली ,बन के काली घटा वह बरसती रही ||
"नवीन"
रौशनी के लिए जब शलभ चल पड़े ,जाने क्यूँ रात भर वह सिसकती रही ||
जब पपिहरे की पी की सदा को सुनी ,और भौरों ने कलियों से की आशिकी |
कोई शहनाई जब भी बजी रात में ,कल्पना की शमा में मचलती रही ||
मन में तृष्णा जगी फिर क्षुधा भी जगी , एक संगीत की नव विधा भी जगी |
जब सितारों से झंकृत प्रणय स्वर मिले ,गीत रस को लिए वह बहकती रही ||
शब्द थे मौन ,पर नैन सब कह गए ,मन की सारी व्यथा की कथा कह गये |
ज्वार आया समंदर की लहरें उठी ,वह नदी तो मिलन में उफनती रही ||
उम्र दहलीज पर दस्तकें दे गयी , अनछुई सी चुभन भावना कह गयी |
एक शैलाब से डगमगाए कदम ,वक्त की धार से वह फिसलती रही ||
एक ज्वालामुखी जल उठी रात में , साँस दहकी बहुत, तेज अंगार में |
जब हवाओं ने लपटों से की दोस्ती ,मोम का दीप बन के पिघलती रही ||
आज सावन की पुरवा हवा जो चली , द्वंद संकोच ठंढी पवन ले उडी |
चेतना खो गयी एक तन्द्रा मिली ,बन के काली घटा वह बरसती रही ||
"नवीन"
चुनने में बिफल रही कि कौन सी पंक्तियाँ ज्यादा अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंदिल को छु गई
हार्दिक शुभकामनायें
waah bahut khub naveen ji anupam bhav sanyojan se susajit rachna.
जवाब देंहटाएंवाह वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: गुजारिश,
bahut khub har ek sabd kuch kahne ki kosis kar reha hai bahut hi sunder rachna
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत सृजन त्रिपाठी जी.
जवाब देंहटाएंजी -
जवाब देंहटाएंसुन्दर
प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-
बेहद सुन्दर...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंगाढ़े भावों से भरी पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना ......
जवाब देंहटाएंशब्द थे मौन ,पर नैन सब कह गए ,मन की सारी व्यथा की कथा कह गये ..
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए है हर छंद नवीन जी ... भाव और शब्दों का सुन्दर संगम ... लाजवाब रचना ...
khubsurat sawan ki man ko bhgati panktiya..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ..उम्दा शब्द रचना
जवाब देंहटाएंवाह..बेहतरीन सृजन..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति....
:-)
उम्र दहलीज पर दस्तकें दे गयी , अनछुई सी चुभन भावना कह गयी |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति....!!
बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसभी शेर बहुत उम्दा, दाद स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल ... बहुत भाव पूर्ण
जवाब देंहटाएंवाह वर्तमान को उकेरती विचारपूर्ण गजल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
वाह बहुत खूब .....बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं