2122 2122 2122 212
कुछ मुहब्बत कुछ शरारत और कुछ धोका रहा ।
हर अदा ए इश्क़ का दिल तर्जुमा करता रहा ।।
याद है अब तक ज़माने को तेरी रानाइयाँ ।
मुद्दतों तक शह्र में चलता तेरा चर्चा रहा ।।
पूछिए उस से भी साहिब इश्क़ की गहराइयाँ ।
जो किताबों की तरह पढ़ता कोई चहरा रहा ।।
वो मेरी पहचान खारिज़ कर गया है शब के बाद ।
जो मेरे खाबों में आकर गुफ्तगू करता रहा ।।
साजिशें रहबर की थीं या था मुकद्दर का कसूर ।
ये मुसाफ़िर रहगुज़र में बारहा लुटता रहा ।।
वो परिंदा क्या बताएगा फ़लक की दास्ताँ ।
जो कफ़स के दरमियाँ हालात से लड़ता रहा ।।
तब्सिरा तू कर गया जख्मों पे मेरे किस तरह ।
जब तेरे रुख़सार पर कायम तेरा पर्दा रहा ।।
तीरगी को रोकना मुमकिन कहाँ था दोस्तो ।
स्याह शब के वास्ते जब शम्स ही ढलता रहा ।।
आपकी तिरछी नजर यूँ कर गयी मुझ पर असर ।
उम्र भर मैं बेख़ुदी में बस ग़ज़ल कहता रहा ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
शब्दार्थ
अदाए इश्क - इश्क़ की अदा
तर्जुमा - अनुवाद ट्रांसलेशन
रानाइयाँ - सुंदरता , शब - रात , गुफ्तगू - बातचीत , रहबर - राह बताने वाला गाइड , रहगुज़र - रास्ता , बारहा - बार बार , फ़लक - आसमान , कफ़स - पिजरा , दरमियाँ - के बीच , तब्सिरा - कमेंट , रुख़सार - चेहरा , तीरगी - अंधेरा , स्याह, शब - काली रात , बेख़ुदी - खुद का ख्याल न रहना ,
पेंटिंग चित्र - साभार गूगल
कुछ मुहब्बत कुछ शरारत और कुछ धोका रहा ।
हर अदा ए इश्क़ का दिल तर्जुमा करता रहा ।।
याद है अब तक ज़माने को तेरी रानाइयाँ ।
मुद्दतों तक शह्र में चलता तेरा चर्चा रहा ।।
पूछिए उस से भी साहिब इश्क़ की गहराइयाँ ।
जो किताबों की तरह पढ़ता कोई चहरा रहा ।।
वो मेरी पहचान खारिज़ कर गया है शब के बाद ।
जो मेरे खाबों में आकर गुफ्तगू करता रहा ।।
साजिशें रहबर की थीं या था मुकद्दर का कसूर ।
ये मुसाफ़िर रहगुज़र में बारहा लुटता रहा ।।
वो परिंदा क्या बताएगा फ़लक की दास्ताँ ।
जो कफ़स के दरमियाँ हालात से लड़ता रहा ।।
तब्सिरा तू कर गया जख्मों पे मेरे किस तरह ।
जब तेरे रुख़सार पर कायम तेरा पर्दा रहा ।।
तीरगी को रोकना मुमकिन कहाँ था दोस्तो ।
स्याह शब के वास्ते जब शम्स ही ढलता रहा ।।
आपकी तिरछी नजर यूँ कर गयी मुझ पर असर ।
उम्र भर मैं बेख़ुदी में बस ग़ज़ल कहता रहा ।।
-- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
शब्दार्थ
अदाए इश्क - इश्क़ की अदा
तर्जुमा - अनुवाद ट्रांसलेशन
रानाइयाँ - सुंदरता , शब - रात , गुफ्तगू - बातचीत , रहबर - राह बताने वाला गाइड , रहगुज़र - रास्ता , बारहा - बार बार , फ़लक - आसमान , कफ़स - पिजरा , दरमियाँ - के बीच , तब्सिरा - कमेंट , रुख़सार - चेहरा , तीरगी - अंधेरा , स्याह, शब - काली रात , बेख़ुदी - खुद का ख्याल न रहना ,
पेंटिंग चित्र - साभार गूगल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें