,2122 1212 22
कौन कहता है बेख़बर आया ।
जो परिंदों के पर कतर आया ।।
हिज्र की दास्तान को सुनकर ।
दर्दे दिल आज फिर उभर आया ।।
ये निगाहें जहां तलक पहुंचीं ।
उसका जलवा हमें नजर आया ।।
लोग कहने लगे जवां उसको ।
दिल चुराने का जब हुनर आया ।।
शह्र में हो रहा यही चर्चा ।
हुस्न कोई शबाब पर आया ।।
उस दरीचे पे है नजर ठहरी ।
जब भी रस्ते में तेरा घर आया ।।
इश्क़ उसका करो न अब खारिज़ ।
तुम से मिलने जो हर पहर आया ।।
चाहतों पर हुआ यकीन हमें ।
बाम पर चाँद जब उतर आया ।।
जिंदगी की किताब में उसकी।
जिक्र मेरा भी मुख़्तसर आया ।।
इक तबस्सुम ने कर दिया घायल ।
याद मंजर वो उम्र भर आया ।।
आप कैसा गुनाह कर बैठे ।
सारा इल्ज़ाम मेरे सर आया ।।
-डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
कौन कहता है बेख़बर आया ।
जो परिंदों के पर कतर आया ।।
हिज्र की दास्तान को सुनकर ।
दर्दे दिल आज फिर उभर आया ।।
ये निगाहें जहां तलक पहुंचीं ।
उसका जलवा हमें नजर आया ।।
लोग कहने लगे जवां उसको ।
दिल चुराने का जब हुनर आया ।।
शह्र में हो रहा यही चर्चा ।
हुस्न कोई शबाब पर आया ।।
उस दरीचे पे है नजर ठहरी ।
जब भी रस्ते में तेरा घर आया ।।
इश्क़ उसका करो न अब खारिज़ ।
तुम से मिलने जो हर पहर आया ।।
चाहतों पर हुआ यकीन हमें ।
बाम पर चाँद जब उतर आया ।।
जिंदगी की किताब में उसकी।
जिक्र मेरा भी मुख़्तसर आया ।।
इक तबस्सुम ने कर दिया घायल ।
याद मंजर वो उम्र भर आया ।।
आप कैसा गुनाह कर बैठे ।
सारा इल्ज़ाम मेरे सर आया ।।
-डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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