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महफ़िल में उसकी बारहा जाने के बावजूद ।
दिल मिल सका न हाथ मिलाने के बावजूद ।।
तूफां तू अपना हश्र दिलों में तो जा के देख ।
रोशन चराग़े इश्क बुझाने के बावजूद ।।
ऐ इश्क़ उसकी नींद उड़ाने की बात कर ।
सोता रहा जो हुस्न जगाने के बावजूद ।।
अब तिश्नगी भी रिन्द की चर्चा में आ गयी ।
होशो हवास में है पिलाने के बावजूद।।
तुम तो मिटा सके भी न छोटा सा इंकलाब ।
जुल्मो सितम दयार में ढाने के बावजूद ।।
सबको दिखा है अक्स तेरा इस निगाह में ।
क़ातिल तेरा गुनाह छुपाने के बावजूद ।।
हालात मुफ़्लिसी का किया जब से मैं बयां ।
आते नहीं हैं लोग बुलाने के बावजूद ।।
दौलत से जिंदगी का कोई ताल्लुक नहीं ।
भूखे मरे हैं लोग ख़जाने के बावजूद ।।
मैं दफ़्न कर सका न उसे मुद्दतों के बाद ।
मिटती नहीं है याद मिटाने के बावजूद ।।
हासिल न हो सकी है कोई नौकरी उन्हें ।
ये आसमान सर पे उठाने के बावजूद ।।
नाकामियों का दर्द सितारों से पूछिए ।
निकला नहीं जो चाँद मनाने के बावजूद ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
महफ़िल में उसकी बारहा जाने के बावजूद ।
दिल मिल सका न हाथ मिलाने के बावजूद ।।
तूफां तू अपना हश्र दिलों में तो जा के देख ।
रोशन चराग़े इश्क बुझाने के बावजूद ।।
ऐ इश्क़ उसकी नींद उड़ाने की बात कर ।
सोता रहा जो हुस्न जगाने के बावजूद ।।
अब तिश्नगी भी रिन्द की चर्चा में आ गयी ।
होशो हवास में है पिलाने के बावजूद।।
तुम तो मिटा सके भी न छोटा सा इंकलाब ।
जुल्मो सितम दयार में ढाने के बावजूद ।।
सबको दिखा है अक्स तेरा इस निगाह में ।
क़ातिल तेरा गुनाह छुपाने के बावजूद ।।
हालात मुफ़्लिसी का किया जब से मैं बयां ।
आते नहीं हैं लोग बुलाने के बावजूद ।।
दौलत से जिंदगी का कोई ताल्लुक नहीं ।
भूखे मरे हैं लोग ख़जाने के बावजूद ।।
मैं दफ़्न कर सका न उसे मुद्दतों के बाद ।
मिटती नहीं है याद मिटाने के बावजूद ।।
हासिल न हो सकी है कोई नौकरी उन्हें ।
ये आसमान सर पे उठाने के बावजूद ।।
नाकामियों का दर्द सितारों से पूछिए ।
निकला नहीं जो चाँद मनाने के बावजूद ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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