यहाँ सस्ता नहीं कुछ भी .....
यहाँ सस्ता नहीं कुछ भी, यहाँ तो नाम बिकता है |
तुम्हारे जहाँ का ईमान , तो बेदाम बिकता है ||
सिसकती माँ के आँचल से, तड़प कर भूख से रोया |
मिला कर दूध में पानी, तो सुबहो शाम बिकता है ||
वो लज्जा है ,हया है ,शर्म है ,आँखों का पानी है |
शहर में आबरू अस्मत भी खुले आम बिकता है ||
उसे बिकता हुआ देखा तो ,अश्कों ने भिगो डाला |
करूं क्या एक की चर्चा, यहाँ आवाम बिकता है ||
बाप मजबूर था , बेटी का दूल्हा ला नहीं पाया |
मंडी में यहाँ दूल्हा भी , एक दाम बिकता है ||
मौत की खातिर शुकूं, ढूढ़ा इसी बाज़ार में |
क्या खबर थी अब यहाँ कोहराम बिकता है ||
वो शातिर है वो झूठा है जमाना खूब वाकिफ है |
उसी को ताज है हासिल, यहाँ ईनाम बिकता है ||
बेचने वालों ने छोड़ा नहीं, कुछ भी यहाँ यारों |
कहीं जीसस ,कहीं अल्ला कहीं पर राम बिकता है ||
"नवीन "
वो शातिर है वो झूठा है जमाना खूब वाकिफ है ,
जवाब देंहटाएंउसी को ताज है हासिल, यहाँ ईनाम बिकता है ।
लाजवाब ग़ज़ल, हालात को बयां करती हुई।
"बेचने वालों ने छोड़ा नहीं, कुछ भी यहाँ यारों |
जवाब देंहटाएंकहीं जीसस ,कहीं अल्ला कहीं पर राम बिकता है ||"
बहुत खूब ! गहरी चोट की है आपने ऊपर वाले के नाम पर लूट करने वालों पर। समाज के आलग-अलग वर्गों की बेबसी और पाखंडियों पर कस हुआ तंज ।
इस संवेदनशील और वैचारिक गज़ल के लिये बधाई।
बेहतरीन गजल...बेहतरीन...शब्द....!
जवाब देंहटाएंहर शेर ने हिला कर रख दिया ..!
सचमुच आपकी कलम तीखी है !
उम्दा प्रस्तुति ....!
बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 09-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
यहाँ सस्ता नहीं कुछ भी, यहाँ तो नाम बिकता है |
जवाब देंहटाएंवो शातिर है वो झूठा है जमाना खूब वाकिफ है |
उसी को ताज है हासिल, यहाँ ईनाम बिकता है ||
बेचने वालों ने छोड़ा नहीं, कुछ भी यहाँ यारों |
कहीं जीसस ,कहीं अल्ला कहीं पर राम बिकता है ||
बड़े ही वजनदार अश'आर हैं, भई वाह !!!
उम्दा लिखा है ..बिलकुल सटीक.. अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंबेचने वालों ने छोड़ा नहीं, कुछ भी यहाँ यारों |
जवाब देंहटाएंकहीं जीसस ,कहीं अल्ला कहीं पर राम बिकता है ||
क्या बात है ! अति सुन्दर .
उसे बिकता हुआ देखा तो ,अश्कों ने भिगो डाला |
जवाब देंहटाएंकरूं क्या एक की चर्चा, यहाँ आवाम बिकता है ||
बहुत सटीक गज़ल .. बहुत खूब
बहुत ही खुबसूरत....
जवाब देंहटाएंआज के ज़माने की बहुत ही सच्ची व सटीक तस्वीर पेश की है नवीन जी ..... इस असरदार रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...अंतस को भिगो गयी..
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी मँहगी है,
जवाब देंहटाएंमौत सस्ती है!
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
बहुत बढिया नवीन भाई। यहां सस्ता है तो केवल गरीब का खून-पसीना।\
जवाब देंहटाएंमौत की खातिर शुकूं, ढूढ़ा इसी बाज़ार में |
जवाब देंहटाएंक्या खबर थी अब यहाँ कोहराम बिकता है ||
bahut hi prabhavshali ....lagata hai koi tamacha hai ..so nice !!
बेहतरीन गजल..
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .
जवाब देंहटाएंमौत की खातिर शुकूं, ढूढ़ा इसी बाज़ार में |
जवाब देंहटाएंक्या खबर थी अब यहाँ कोहराम बिकता है ||
बहुत बहुत बढ़िया..
सादर.
बहुत सुंदर बेहतरीन गजल,..
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
लिंक गलत देने की वजह से पुन: सूचना
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
उसे बिकता हुआ देखा तो ,अश्कों ने भिगो डाला |
जवाब देंहटाएंकरूं क्या एक की चर्चा, यहाँ आवाम बिकता है ||
बहुत खूब कहा है आपने ..बेहतरीन ।
आज के जमाने में सब कुछ बिकता है ....सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज के जमाने में सब बिकता है
जवाब देंहटाएंसत्य को उजागर करती सार्थक प्रस्तुती है
everything is on sale
जवाब देंहटाएंyaha to taj bhi bikta hai
nice poem
बहुत सुंदर प्रस्तुति, बेहतरीन गजल,वाह!!!!!!!!नवीन जी....क्या बात है
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंreally teekhi kalam ki teekhi maar darshit ho rahi hai ghazal me.laajabaab.
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