2122 1122 1122 22
उसकी आँखें हैं ख़ता वार ख़ुदा ख़ैर करे'
दिल किया मेरा गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
जमीं की तिश्नगी को देख रहा है बादल ।
आज बारिस के हैं आसार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
नाम आया है मेरा जब से सनम के लब पर
पूरी बस्ती हुई बेज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
हर तरफ़ उनकी अदाओं पे शोर बरपा है ।
जिंदगी जीना है दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
बिजलियाँ रोज़ गिराते हैं नशेमन पे सनम ।
सब्र की टूटे न दीवार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
कास आएं तो सही आप मेरी महफ़िल में ।।
बज़्म हो जाए ये गुलज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
अब तो मासूम दिलों पर है उन्हीं का कब्जा ।
हुस्न की चल रही सरकार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
लोग उल्फ़त की तिज़ारत का तक़ाज़ा लेकर ।
खुद ब खुद आ रहे बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
अपनी ताक़त पे जो इतरा रहे थे दुनियाँ में ।
आज वो मुल्क भी लाचार ख़ुदा खैर करे ।।
वो क़यामत है क़रोना की तरह छूते ही ।
हो गया दिल कोई बीमार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
क़ैद हैं घर में मिलें भी तो भला कैसे हम ।
याद तड़पाये बहुत बार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
उसकी आँखें हैं ख़ता वार ख़ुदा ख़ैर करे'
दिल किया मेरा गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
जमीं की तिश्नगी को देख रहा है बादल ।
आज बारिस के हैं आसार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
नाम आया है मेरा जब से सनम के लब पर
पूरी बस्ती हुई बेज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
हर तरफ़ उनकी अदाओं पे शोर बरपा है ।
जिंदगी जीना है दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
बिजलियाँ रोज़ गिराते हैं नशेमन पे सनम ।
सब्र की टूटे न दीवार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
कास आएं तो सही आप मेरी महफ़िल में ।।
बज़्म हो जाए ये गुलज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
अब तो मासूम दिलों पर है उन्हीं का कब्जा ।
हुस्न की चल रही सरकार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
लोग उल्फ़त की तिज़ारत का तक़ाज़ा लेकर ।
खुद ब खुद आ रहे बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
अपनी ताक़त पे जो इतरा रहे थे दुनियाँ में ।
आज वो मुल्क भी लाचार ख़ुदा खैर करे ।।
वो क़यामत है क़रोना की तरह छूते ही ।
हो गया दिल कोई बीमार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
क़ैद हैं घर में मिलें भी तो भला कैसे हम ।
याद तड़पाये बहुत बार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी