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क़ातिल का इंतज़ार बहुत देर तक रहा ।
यूँ दिल ये बेक़रार बहुत देर तक रहा ।।1
वो लुट गया जहाँ में सरे आम दोस्तो ।
जो शख़्स होशियार बहुत देर तक रहा ।।2
धोखा मिला उसी से जमाने मे बार बार ।
जिस पर भी ऐतबार बहुत देर तक रहा ।।3
पीना गुनाह है वहाँ , जिस मैक़दे से यार ।
रिश्ता कभी कभार बहुत देर तक रहा ।। 4
उनकी शिफ़ा से मुझ को तसल्ली तो मिल गई ।
पर इश्क़ का बुखार बहुत देर तक रहा ।।5
करने लगे वतन की तिज़ारत वो देखिए ।
कुर्सी का जब खुमार बहुत देर तक रहा ।।6
बिकते हुए चमन को ख़रीदार चाहिए ।
साहब ये इश्तिहार बहुत देर तक रहा ।।7
जम्हूरियत के नाम पे चर्चा जो हो गया ।
दिल्ली के दिल में ख़्वार बहुत देर तक रहा ।।8
--- नवीन मणि त्रिपाठी
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