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आइनों को बुरा मत कहा कीजिये ।
आइने जो कहें वो सुना कीजिये ।।1
हर्फ़ उभरे हैं उल्फ़त के रुख़सार पर ।
उनके चेहरे को कुछ तो पढा कीजिये ।।2
आज महफ़िल में वो आएंगे बेनक़ाब ।
दिल न टूटे किसी का दुआ कीजिये ।।3
है मुनासिब नहीं ख़ामुशी आपकी ।
गर हैं बीमारे ग़म तो दवा कीजिये ।।4
अब मुहूरत पे चर्चा बहुत हो चुका ।
बस अभी प्यार की इब्तिदा कीजिये ।।5
कैसे डसतीं हैं मुझको ये तन्हाइयां ।
मेरे हालात पर तब्सिरा कीजिये ।।6
ज़ख़्म नासूर हो जाएगा एक दिन ।
ज़ख़्म को इस तरह मत हरा कीजिये ।।7
--नवीन मणि त्रिपाठी
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