2122 1122 1122 22
वो नज़र भर के मुझे प्यार से देखा कल शब ।
जो किसी ग़ैर की महफ़िल में मिलेगा कल शब ।।
तब से गायब हैं मेरे अम्नो सुकूँ चैन सभी ।
जब से वो चाँद मेरे बाम पे उतरा कल शब ।।
ऐ समुंदर तेरी दरिया दिली से है शिकवा ।
तिश्नगी ले के तो साहिल से मैं लौटा कल शब ।।
आप ही कीजिये अब उसका क़रीने से इलाज ।
देख कर आपको जो शख्स था फिसला कल शब ।।
उनके वादे पे यकीं कौन करे अब यारो ।
तोड़ आये जो मेरे दिल का भरोसा कल शब ।।
शमअ की चाह में आएंगे वहाँ परवाने ।
घर जलाकर जो करेगा तू उजाला कल शब ।।
कर दिया तुमने मेरा ज़िक्र रक़ीबों से क्या ।
शह्र में होने लगा इश्क़ पे चर्चा कल शब ।।
-नवीन
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