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मुमकिन है उन्हें अपनी भी याद आये कहानी ।
गर कोई मुहब्बत की सुना जाए कहानी ।।
उल्फ़त के ज़माने की नई ताज़गी लेकर ।
दिल बारहा इस दौर में बहलाये कहानी ।।
शिकवा गिला इल्ज़ाम से ज्यादा न मिला कुछ ।
मुद्दत के बाद आप जो बुन पाए कहानी ।।
मुझको सुना के मुझपे सितम कर न मेरे यार ।
शब भर मेरे अश्क़ों को जो छलकाए कहानी ।।
जब से मेंरे जज़्बात को छूकर गयी है वो ।
तब से यूँ ख़यालात में उलझाए कहानी ।।
वो हुस्न ही चर्चा में रहा दुनिया में अक्सर ।
अपनी अदा से हुस्न जो लिखवाए कहानी ।।
हम तो ठगे से रह गए महँगाई में साहब ।
कोई तो हमें देश की समझाए कहानी ।।
छपने में सियासत है सुखनवर ही क्या करे।
लिख कर तमाम रात वो पछताए कहानी ।।
--नवीन
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