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महफ़िल में ये नकाब हटाने का शुक्रिया ।
तीरे नज़र को दिल पे चलाने का शुक्रिया ।।1
इज़हारे इश्क हो गया शर्मो हया के बीच ।
उनको हमारी बज़्म में आने का शुक्रिया ।।2
माना कि दिल से ख़्वार नही वो मिटा सके ।
पर मुस्कुरा के हाथ मिलाने का शुक्रिया ।।3
हर बार करके वादा निभा तक सका न तू ।
ताज़ा तरीन तेरे बहाने का शुक्रिया ।।4
तुमने तो कह दिया है मुझे बेवफा सनम ।
दामन पे पहला दाग़ लगाने का शुक्रिया ।5
हँसता हुआ मिला तू ज़माने से हिज़्र में ।
आशिक तुझे ये दर्द छुपाने का शुक्रिया ।।6
मुद्दत से इंतज़ार था अब रूबरू हुज़ूर ।
पलकें झुका के दिल में समाने का शुक्रिया ।।7
हुस्नो अदा की तेरी नुमाइश क़ज़ा बनी ।
यूँ ज़िन्दगी में आग लगाने का शुक्रिया ।।8
आँखों से मैक़दे में जो छलकी शराब है ।
साकी तुझे ये जाम पिलाने का शुक्रिया ।। 9
मुझको अकेला छोड़ के जाना ही था तुम्हें ।
कुछ दूर मेरा साथ निभाने का शुक्रिया ।।10
--नवीन मणि त्रिपाठी
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